सार

जर्मनी में जी 7 देशों का शिखर सम्मेलन (G7 summit) हो रहा है। इसमें चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को चुनौती देने वाली ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट योजना पर विस्तार से बात हुई। इस योजना के तहत 600 बिलियन डॉलर से विकासशील और गरीब देशों में विकास कार्य होंगे। 
 

म्यूनिख। जर्मनी में दुनिया के सबसे धनी देशों के समूह जी 7 का शिखर सम्मेलन (G7 summit) हो रहा है। इसमें दुनिया में चीन की बढ़ती दखल को चुनौती देने की योजना पर विस्तार से बातचीत हुई। चीन अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की मदद से एशिया के कई देशों में बड़े निर्माण प्रोजेक्ट चला रहा है और उन देशों में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। चीन की इस पहल को टक्कर देने के लिए जी 7 के देशों ने 600 बिलियन डॉलर की योजना लाने का फैसला किया है। 

G7 के नेताओं ने विकासशील दुनिया के लिए 600 बिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाने की विस्तृत योजना बनाई है। पिछले साल इंग्लैंड में हुए जी 7 के शिखर सम्मेलन में ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट के लिए साझेदारी की योजना को लॉन्च किया गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि योजना सभी को लाभ देगी। इस योजना में शामिल होने वाले देश यह देखेंगे कि लोकतांत्रिक देशों के साथ साझेदारी कितनी लाभकारी हो सकती है।

गरीब देशों को कर्ज के जाल में फंसा रहा चीन
गौरतलब है कि चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को दुनियाभर में शंका की नजर से देखा जा रहा है। चीन की इस बात के लिए आलोचना हो रही है कि वह गरीब देशों को विकास कार्य के नाम पर कर्ज के जाल में फंसा रहा है। जी 7 देशों ने पांच साल से अधिक समय में विकासशील और गरीब देशों में आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए प्रोजेक्ट लाने का फैसला किया है। 

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इस योजना के लिए अमेरिका ने 200 बिलियन डॉलर का फंड मुहैया कराने का वादा किया है। इसमें ग्रांट्स, फेडरल फंड्स और निजी निवेश शामिल हैं। वहीं, यूरोपीय यूनियन ने 257 बिलियन यूरो का फंड मुहैया कराने की घोषणा की है। इन योजना से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने, वैश्विक स्वास्थ्य सुधारने, लैंगिक समानता और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने की दिशा में भी काम होगा। 

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इस योजना के तहत दुनिया भर में शुरू होने वाली कुछ प्रमुख परियोजनाओं में अंगोला में एक सोलर पावर प्रोजेक्ट, सेनेगल में टीका बनाने की सुविधा और हॉर्न ऑफ अफ्रीका के माध्यम से सिंगापुर को मिस्र से जोड़ने वाली 1,000 मील की समुद्र के अंदर बिछाई जाने वाली दूरसंचार केबल शामिल हैं। गौरतलब है कि जी 7 समूह में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और कनाडा शामिल हैं। जर्मनी ने भारत के अलावा अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका को जी7 के शिखर सम्मेलन में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है।