सार

देश की एक अदालत ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी आप्रवास कानून के दायरे में नहीं आते।

सिडनी. देश की एक अदालत ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी आप्रवास कानून के दायरे में नहीं आते।

ऑस्ट्रेलिया दोषियों का वीजा रद्द करने की अनुमति देने वाले कानून के आधार पर पापुआ न्यू गिनी के डेनियल लव और न्यूजीलैंड के ब्रेडन थॉमस को देश से निकालने की कोशिश कर रहा था।

दोनों ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी हैं

दोनों ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी हैं, दोनों के माता-पिता में से एक यहां का है। वहीं बचपन से ही वह देश में रह रहे हैं।

लव अपनी सजा काट चुका है और थॉमस घरेलू हिंसा के मामले में जेल में है। इन दोनों ने अदालत में दलील दी थी कि वे भले ही यहां के नागरिक नहीं है लेकिन कोई बाहरी भी नहीं है।

उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा

देश के उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी विदेशी "नागरिकों से संबंधित कानून के दायरे में नहीं आते" । इस फैसले के पक्ष में चार और इसके खिलाफ तीन न्यायाधीशों ने वोट दिया।

आदिवासी लोग 60,000 वर्षों से अधिक समय से यहां बसे हैं जबकि देश का नया आधुनिक संविधान 1901 में ही लाया गया है।

वकील क्लेयर गिब्स ने कहा

थॉमस को अदालत ने आदिवासी स्वीकार कर लिया है लेकिन लव के मामले में अभी कुछ जांच बाकी है, जिसके बाद ही उसे आदिवासी माना जाएगा।

दोनों पुरुषों का प्रतिनिधि कर रहीं वकील क्लेयर गिब्स ने कहा, " यह मामला नागरिकता का नहीं, बल्कि यह इस बात से जुड़ा है कि किसका नाता यहां से है?, कौन ऑस्ट्रेलियाई नागरिक है और कौन ऑस्ट्रेलियाई समुदाय का सदस्य है।"

उन्होंने कहा, " उच्च न्यायालय ने पाया कि ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी प्रत्यर्पण से सुरक्षित हैं। उन्हें देश से नहीं निकाला जा सकता क्योंकि उन्हें पता है कि उनका देश से बेहद गहरा रिश्ता है। "

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)