फरवरी 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई शुरू हुई। इसके बाद रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ाकर भारत ने 17 बिलियन डॉलर (1.49 लाख करोड़ रुपए से अधिक) बचाए हैं। अप्रत्यक्ष बचत इससे कहीं अधिक है।

Russian oil: रूस और यूक्रेन की लड़ाई शुरू हुई तो दुनिया में ऊर्जा संकट पैदा हुआ। कच्चे तेल की कीमत बढ़ी। ऐसे में भारत ने रूस से कच्चा तेल आयात बढ़ा दिया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के चलते भारत की आलोचना की है। उन्होंने भारत से होने वाले आयात पर 50% टैरिफ लगाया है। इस बीच भारत ने दबाव के आगे झुकने से इनकार करते हुए साफ कहा है कि रूसी तेल आयात बंद नहीं होगा। ऐसे में बड़ा सवाल है कि भारत को रूस से तेल आयात करने में कितना फायदा हो रहा है। आइए जानते हैं।

रूसी तेल खरीद भारत की रिफाइनरियों ने बचाए 17 बिलियन डॉलर

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न विश्लेषणों ने बताया है कि भारत की रिफाइनरियों ने अप्रैल 2022 और जून 2025 के बीच रियायती रूसी तेल खरीदकर कम से कम 17 बिलियन डॉलर (1.49 लाख करोड़ रुपए से अधिक) की बचत की। वहीं, अप्रत्यक्ष बचत कहीं अधिक रही है। रूस-यूक्रेन जंग की शुरुआत फरवरी 2022 में हुई थी।

रॉयटर्स ने बताया है कि अनुमान है कि 2022 की शुरुआत में रूस से रियायती तेल आयात बढ़ाकर भारत ने 17 बिलियन डॉलर से ज्यादा की बचत की है। अन्य विशेषज्ञों और रिपोर्टों के अनुसार यह बचत 13 बिलियन डॉलर (1.14 लाख करोड़ रुपए) से 26 बिलियन डॉलर (2.29 लाख करोड़ रुपए) तक है। अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने पर भारत के खिलाफ टैरिफ लगाया तो रूस ने अगस्त में भारत को 5% अतिरिक्त डिस्काउंट ऑफर किया है।

रूस ने भारत को तेल पर दी भारी छूट

फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से भारत चीन के बाद रूसी कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है। पहले रूस से भारत का तेल आयात कुल जरूरतों का 2% से भी कम था। अब यह बढ़कर एक तिहाई से भी ज्यादा हो गया है। पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस ने भारत को तेल पर भारी छूट दी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 39 महीनों में प्रत्यक्ष बचत के रूप में कम से कम 12.6 बिलियन डॉलर (1.11 लाख करोड़ रुपए) बचाए हैं। वहीं, रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने रूसी कच्चे तेल के आयात से कम से कम 17 बिलियन डॉलर (1.49 लाख करोड़ रुपए) की बचत की।

रूसी तेल ने दो साल में भारत के खर्च में की 10 बिलियन डॉलर से अधिक की कमी

यूक्रेन युद्ध से पहले रूस भारत के तेल आयात का नगण्य हिस्सा सप्लाई करता था। भारत ज्यादातर तेल इराक और सऊदी अरब जैसे पारंपरिक सप्लायर से लेता था। लड़ाई शुरू होने के बाद रूस के खिलाफ लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों ने भारत के लिए एक अवसर पैदा किया। रूस ने गैर-पश्चिमी खरीदारों को छूट की पेशकश की। सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) और रिलायंस जैसी निजी दिग्गज कंपनियों सहित भारतीय रिफाइनरियों ने इसका फायदा उठाया।

मई 2023 तक रूसी तेल आयात 2.15 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह जुलाई 2025 तक लगभग 1.78 मिलियन बीपीडी पर आ गया जो भारत के 5.2 मिलियन बीपीडी कुल आयात का 36% है। 

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पहले वर्ष (वित्त वर्ष 2022-23) में प्रभावी छूट औसतन 13.6% रही। रूसी कच्चे तेल की कीमत 83.24 डॉलर प्रति बैरल थी। यह गैर-रूसी औसत से 13 डॉलर कम थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इससे 373 मिलियन बैरल आयात पर 4.87 बिलियन डॉलर (42905 करोड़ रुपए) की बचत हुई। इससे भारत का कुल तेल आयात बिल संभावित 167.08 बिलियन डॉलर (14.72 लाख करोड़ रुपए) से घटकर 162.21 बिलियन डॉलर (14.29 लाख करोड़ रुपए) रह गया।

वित्त वर्ष 2023-24 में मात्रा बढ़कर 609 मिलियन बैरल हो गई। इससे 10.4% (8.89 डॉलर प्रति बैरल अंतर) की कम छूट के बावजूद बचत बढ़कर 5.41 बिलियन डॉलर (47655 करोड़ रुपए) हो गई।