चीन के साथ सुधरते रिश्ते कहीं न कहीं भविष्य में भारत के लिए फायदेमंद साबित होंगे। वहीं, अमेरिका ने पाकिस्तान को अहमियत देते हुए भारत से रिश्ते खराब कर अपने ही पैरों में कुल्हाड़ी मारी है। आइए जानते हैं चीन के साथ अच्छे संबंधों का क्या फायद मिलेगा?
India-China Relation Benifits: भारत-चीन ने अपने रिश्तों को सुधारने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग यी का भारत दौरा काफी सुर्खियों में रहा। अपने दो दिनी दौरे में उन्होंने बॉर्डर पर टेंशन कम करने और शांति बढ़ाने के अलावा कई व्यापारिक और द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बात की। बता दें कि चीन ने हाल ही में भारत के लिए रेयर अर्थ मेटल पर लगे प्रतिबंध को भी हटा लिया है। ऐसे में चीन के साथ संबंध सुधरने का सीधा फायदा भारत को होगा। आइए जानते हैं भारत के लिए क्या-क्या फायदे हो सकते हैं।
1- भारत और चीन ने सीमा व्यापार को दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया है। ये व्यापार 3 खास रास्तों के जरिए होगा, जिन्हें पहले से निर्धारित किया गया है। यानी दोनों देश एक बार फिर पारंपरिक सीमा व्यापार बाजारों को शुरू करने पर राजी हो गए हैं, जिसका फायदा भारतीय अर्थव्यवस्था को होगा।
2- भारत और चीन के बीच इस बात पर भी सहमति बनी कि दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान जल्द शुरू की जाएंगी। इससे जहां दोनों देशों में संपर्क बढ़ेगा, वहीं बिजनेस भी पहले की तुलना में आसान होगा।
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3- इसके अलावा टूरिस्ट और बिजनेसमैन के लिए वीजा प्रॉसेस को भी आसान बनाया जाएगा। बता दें कि भारत ने 24 जुलाई से ही चीनी नागरिकों को फिर से टूरिस्ट वीजा देना शुरू किया है। इससे भारत में टूरिस्ट के साथ कारोबार को भी बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
4- भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को और आसान व सुविधाजनक बनाने का फैसला किया है। इसके तहत 2026 तक पहले की तुलना में ज्यादा यात्री मानसरोवर की यात्रा कर सकेंगे।
5- चीन के साथ सीमा विवाद को हल करने के लिए लॉजिकली और पारस्परिक रूप से एक्सेप्ट किया जाने वाला फ्रेमवर्क तलाशा जाएगा। दोनों देशों ने इसके लिए एक एक्सपर्ट ग्रुप बनाने का फैसला किया है, जो बॉर्डर के विवादित इलाकों में डि-मार्केशन का रास्ता निकालेगा।
6- भारत और चीन अब तक सिर्फ वेस्टर्न इलाके पर फोकस कर रहे थे, लेकिन अब ईस्टर्न और सेंट्रल रीजन के लिए भी एक सिस्टम डेवलप किया जाएगा। इसके अलावा बॉर्डर पर शांति कायम करने के लिए दोनों देश डिप्लोमैटिक और सैन्य चैनलों के जरिए बातचीत जारी रखेंगे।
7- भारत और चीन के बीच नदियों से जुड़ी जानकारी शेयर करने पर भी सहमति बनी है। चीन ने मानवीय मूल्यों के आधार पर सीमा पर की नदियों की जल संबंधित जानकारी भारत के साथ साझा करने की बात कही है। इससे भारत में बाढ़ और सूखे से निपटने के लिए पहले से प्रभावी तंत्र बनाने में मदद मिलेगी।
8- भारत और चीन ने आपसी समझौतों में समझदारी के साथ काम करने पर भी सहमति जताई। इसके अलावा कूटनीतिक स्तर पर होने वाले आयोजनों में सहयोग करने पर भी जोर दिया। इसके तहत भारत जहां 2026 में BRICS सम्मेलन को होस्ट करेगा, वहीं चीन 2027 में इसके लिए राजी हो गया है।
9- चीन से इम्पोर्ट होने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स, दवाइयों के रॉ मटेरियल और मशीनों पर भारत की निर्भरता बहुत अधिक है। ऐसे में चीन के साथ रिश्ते सुधरने की वजह से इन सामानों की आपूर्ति पहले की तुलना में ज्यादा सस्ती और आसान होगी। इससे जहां भारतीय कंपनियों की लागत घटेगी, वहीं मुनाफा बढ़ेगा।
10- नीति आयोग की ओर से सुझाव दिया गया है कि अगर चीनी कंपनियां भारतीय कंपनियों में 24% तक हिस्सेदारी बिना किसी सरकारी मंजूरी के खरीद सकेंगी, तो इससे नया निवेश बढ़ेगा और ये अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित होगा। कुल मिलाकर चीन से रिश्ते सुधारा भारत की मजबूरी नहीं, सोच-समझकर उठाया गया एक कूटनीतिक और रणनीतिक कदम है।
क्या अमेरिका ने अपने पैरों पर मारी कुल्हाड़ी?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत को लेकर अपनाया गया रवैया और पाकिस्तान को दी जाने वाली अहमियत भविष्य में उस पर ही भारी पड़ सकती है। विदेशी मामलों के जानकारों की मानें तो भारत अब अमेरिकी दबाव में काम करने वाले देशों से बाहर निकल अपने फैसले खुद करता है। भारत ने अब वन-साइडेड विदेश नीति पर चलना छोड़ दिया है। अमेरिका से संबंध बिगड़ने के बाद चीन के साथ कायम होते अच्छे रिश्ते उसकी डिप्लोमैटिक और स्ट्रैटेजिक समझदारी का हिस्सा है। भारत को लेकर अगर अमेरिका का रवैया भविष्य में भी सख्त रहता है तो चीन के साथ बेहतर व्यापारिक संबंध उसके लिए एक मजबूत ऑप्शन की तरह होंगे और ये कदम कहीं न कहीं अमेरिका के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
क्या रूस भी भारत-चीन को करीब लाने के पक्ष में?
विदेशी मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि रूस खुद भी भारत और चीन के संबंधों को सुधारने की दिशा में काम कर रहा है, ताकि एशिया की दो बड़ी ताकतों के बीच पावर बैलेंस बना रहे। वहीं,चीन के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए भले ही उसके साथ रिश्ते सुधारने में थोड़ा रिस्क है, लेकिन फिलहाल उससे दोस्ती बढ़ाना अमेरिका को सबक सिखाने के लिए समझदारी भरा फैसला है।
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