सार

विश्व निकाय में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, ‘‘आज हमने यहां सुना कि आतंकवाद और संगठित अपराध की दोहरी बुराइयों को किस तरह एक ही तर्ज पर सहयोग मिलता है। उन्हें उन्हीं दुष्ट शक्तियों से मदद मिलती है जो हिंसा के अवैध इस्तेमाल से शासन, विकास और सामाजिक ताने-बाने को दुर्बल करना चाहते हैं।’’
 

संयुक्त राष्ट्र.  भारत ने आतंकवाद-अपराध गठजोड़ के मौजूदा वैश्विक खतरे के खिलाफ लड़ाई में किसी तरह का ‘‘दोहरा मानक’’ अपनाए बिना ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति अपनाने का आह्वान किया है। इस गठजोड़ के तहत संयुक्त राष्ट्र से आतंकी संगठन घोषित लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे समूह ‘‘सीमा पार वित्तपोषण और दुष्प्रचार के जरिए लगातार क्षेत्रों को अस्थिर करने’’ में लगे हैं। विश्व निकाय में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने मंगलवार को यहां कहा, ‘‘आज हमने यहां सुना कि आतंकवाद और संगठित अपराध की दोहरी बुराइयों को किस तरह एक ही तर्ज पर सहयोग मिलता है। उनके संबंधों की प्रकृति भिन्न हो सकती है, लेकिन उन्हें उन्हीं दुष्ट शक्तियों से मदद मिलती है जो हिंसा के अवैध इस्तेमाल से शासन, विकास और सामाजिक ताने-बाने को दुर्बल करना चाहते हैं।’’

आतंकवाद-अपराध गठजोड़ विश्व के लिए खतरा

अकबरुद्दीन ‘शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सहयोग: आतंकवाद का संगठित अपराध से संपर्क तथा मादक पदार्थों की तस्करी से इसका वित्तपोषण रोकने’ विषय पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक उच्चस्तरीय विशेष आयोजन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद-अपराध गठजोड़ विश्व के अस्तित्व के लिए खतरा है, जिसका स्वरूप हर रोज बदल रहा है।’’ अकबरुद्दीन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नए तरीके और प्रौद्योगिकियां अपनानी होंगी-‘‘जो कुछ ऐसा है जिसे हम तभी प्राप्त कर सकते हैं जब हम मिलकर काम करें, ‘कतई बर्दाश्त नहीं की नीति’ के साथ काम करें, दोहरा मानक अपनाए बिना काम करें।’’
 

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)