जी-7 बैठक के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ब्रिटेन की विदेश सचिव यवेट कूपर से मुलाकात कर भारत-यूके विज़न 2035 की पुष्टि की। यह पहल आने वाले दशक में दोनों देशों के बीच आर्थिक, रक्षा और शिक्षा क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करेगी।
नई दिल्ली। कनाडा के नियाग्रा में आयोजित जी-7 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने एक अहम कूटनीतिक पहल की। उन्होंने ब्रिटेन की विदेश सचिव यवेट कूपर से मुलाकात कर “भारत-यूके विज़न 2035” की पुष्टि की। यह विज़न सिर्फ एक समझौता नहीं, बल्कि आने वाले दशक में दोनों देशों के बीच आर्थिक, तकनीकी और सुरक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की रूपरेखा है। जयशंकर ने इस मुलाकात की जानकारी खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए लिखा-“कनाडा में #G7 FMM से इतर ब्रिटेन की विदेश सचिव से मिलकर खुशी हुई। हमारे संबंधों में सकारात्मक गति को स्वीकार किया और प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने के लिए भारत-यूके विज़न 2035 की पुष्टि की।”
क्या है “भारत-यूके विज़न 2035”?
यह विज़न भारत और ब्रिटेन के बीच अगले 10 वर्षों के लिए एक समयबद्ध साझेदारी योजना (Strategic Roadmap) है। इसमें अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी, रक्षा, जलवायु और शिक्षा जैसे पाँच प्रमुख स्तंभ शामिल हैं। दोनों देश मिलकर एक “बौद्धिक साझेदारी” (Intellectual Partnership) बनाएंगे जो तेजी से बदलती तकनीकी दुनिया में नई संभावनाओं को अपनाने में सक्षम होगी। इस योजना के तहत रिसर्च, इनोवेशन और एजुकेशन एक्सचेंज प्रोग्राम्स को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि दोनों देशों के युवा मिलकर वैश्विक समस्याओं के समाधान में योगदान दे सकें।
जी-7 बैठक में भारत की बढ़ती भूमिका
विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, जयशंकर कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद के निमंत्रण पर 11 से 13 नवंबर 2025 तक जी-7 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग ले रहे हैं। इस साल जी-7 सम्मेलन का आयोजन नियाग्रा (कनाडा) में हो रहा है, जो अपने प्रसिद्ध झरनों के लिए जाना जाता है। बैठक में कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, इटली और फ्रांस के अलावा भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को “आउटरीच पार्टनर” के रूप में आमंत्रित किया गया है। भारत की भागीदारी यह दिखाती है कि देश अब केवल एक दर्शक नहीं, बल्कि “ग्लोबल साउथ” की आवाज़ उठाने वाला अग्रणी चेहरा बन चुका है।
क्या भारत-यूके संबंधों में नया अध्याय शुरू हो चुका है?
जयशंकर और यवेट कूपर की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब भारत और ब्रिटेन के बीच कई अहम आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों पर बातचीत जारी है। “भारत-यूके विज़न 2035” इस रिश्ते को और मज़बूती देगा, खासकर रक्षा और नवाचार के क्षेत्र में। इस यात्रा की पृष्ठभूमि भी महत्वपूर्ण है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच हुई बैठक ने भारत-कनाडा संबंधों में नई गर्मजोशी लाई थी। अब उसी कूटनीतिक लय को ब्रिटेन तक विस्तारित किया जा रहा है।
