सार
इज़राइल ने हिजबुल्लाह के ठिकानों पर रहस्यमय तरीके से हमला करके उसके नेता समेत कई आतंकियों को मार गिराया है। यह हमला इज़राइल की सैन्य शक्ति और खुफिया एजेंसी मोसाद की कार्यकुशलता को दर्शाता है।
भीषण हमला करने वाली इज़राइल की ताकत का ये है बड़ा इतिहास
पिछले अक्टूबर में शुरू हुए इज़राइल और हमास के बीच युद्ध अभी भी जारी है, और अब इसमें ईरान समर्थित लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने भी एंट्री मार ली है। इज़राइल पर रॉकेट हमले करके उसे उकसाने की कोशिश की गई। लेकिन इसके जवाब में इज़राइल लगातार हमले कर रहा है। लेबनान में पेजर, वॉकी-टॉकी, रेडियो के फटने से शुरू हुआ यह युद्ध हिजबुल्लाह प्रमुख नसरल्लाह और उनके 20 से अधिक करीबियों की मौत का कारण बना है। इस तरह के हमले से इज़राइल ने अपने आस-पास के दुश्मन देशों को संदेश दिया है कि उसे उकसाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। इस तरह का संदेश देने का इज़राइल का एक लंबा इतिहास रहा है।
हिजबुल्लाह के टॉप बॉस का सर्वनाश
इज़राइल के खिलाफ जंग में हमास की मदद कर रहे हैं हिजबुल्लाह के आतंकी। हाल ही में, हिजबुल्लाह ने इज़राइल के सैन्य ठिकानों और रिहायशी इलाकों पर रॉकेट और मिसाइल हमले किए थे। इसके जवाब में, इज़राइली सेना ने आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे पेजर, वॉकी-टॉकी और रेडियो सेट को रहस्यमय तरीके से उड़ा दिया, जिससे सैकड़ों आतंकवादी मारे गए। इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते, आतंकवादियों पर हमला बोल दिया गया। इस हमले के बाद, इज़राइल ने हिजबुल्लाह के सुप्रीमो हसन नसरल्लाह को मार गिराया। नसरल्लाह जिस बंकर में छिपा था, उसे ध्वस्त कर दिया गया। इज़राइल के लड़ाकू विमानों ने जमीन से 60 फीट नीचे बने उस बंकर पर 80 टन बमों से लैस मिसाइलों से हमला किया, जहाँ नसरल्लाह और उनके साथी बैठक कर रहे थे। इस हमले में 20 से अधिक आतंकी मारे गए।
रहस्यमय, भयंकर हमला: इज़राइल की ताकत का है बड़ा इतिहास
छोटे से देश इज़राइल के आस-पास कई दुश्मन देश हैं। वे हमेशा अलग-अलग तरीकों से इज़राइल को परेशान करते रहते हैं। लेकिन यह देश उन लोगों को ऐसा सबक सिखाता है कि वे दोबारा कभी उठने की हिम्मत न कर सकें। इज़राइल द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार, रक्षा उपकरण और उनकी रणनीति दुश्मनों के लिए अबूझ पहेली बने हुए हैं। दुश्मनों के हमलों को रोकने में इज़राइल की सबसे बड़ी ताकत आयरन डोम है। यह आयरन डोम किसी भी मौसम में दुश्मन के हमलों का मुकाबला कर सकता है और कम दूरी की रॉकेट और तोप के गोले के हमलों को रोक सकता है।
इज़राइल की सबसे बड़ी ताकत - मोसाद
इज़राइल हमेशा से अपने दुश्मनों को उनके ही घर में घुसकर मारने की क्षमता दिखाता है। इसके पीछे इज़राइल की सबसे बड़ी ताकत है - उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद। मोसाद दुनिया की सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसियों में से एक है। मोसाद इज़राइल के बाहर अपने दुश्मनों को मारने के लिए जाना जाता है। इसका ताजा उदाहरण ईरान में हमास नेता की हत्या है।
14 सितंबर को हिजबुल्लाह के आतंकवादियों के पेजर में हुए धमाकों के पीछे भी मोसाद का ही हाथ बताया जा रहा है। हिजबुल्लाह के आतंकवादियों ने खुद आरोप लगाया था कि मोसाद ने पेजर में लगे रेडियो तरंगों को हैक करके उन्हें उड़ा दिया था। 1 अगस्त को ईरान में एक कार्यक्रम में शामिल होने वाले हमास नेता हनिये जब अपने घर तेहरान लौटे, तो उनकी घर में ही हत्या कर दी गई। माना जा रहा है कि यह इज़राइल के हवाई हमले का नतीजा था।
एक साथ 5 जगह युद्ध, इज़राइल का जलवा
1. हमास के आतंकियों ने की जंग की शुरुआत: फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने 7 अक्टूबर को दक्षिणी इज़राइल पर बड़ी संख्या में रॉकेट दागे थे। इसके जवाब में इज़राइल ने फिलिस्तीन के गाजा पर जवाबी हमला किया। एक तरफ इज़राइल ने आतंकवादियों के कब्जे से अपने नागरिकों को छुड़ाने की कोशिश की, तो दूसरी तरफ हमास के आतंकवादियों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए उनके ठिकानों, आतंकवादियों और प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया।
2. हिजबुल्लाह के आतंकियों से भी लोहा: लेबनान स्थित, ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के आतंकवादियों ने उत्तरी इज़राइल पर रॉकेट, मिसाइल और ड्रोन से हमला किया। इसके जवाब में, इज़राइली सेना ने हिजबुल्लाह के शीर्ष कमांडरों को मार गिराना शुरू कर दिया। हाल ही में, इसके प्रमुख हसन नसरल्लाह और डिप्टी चीफ नबील कौक मारे गए। इसके साथ ही, हिजबुल्लाह द्वारा संचार के लिए इस्तेमाल किए जा रहे वॉकी-टॉकी को उड़ाकर उसकी संगठनात्मक क्षमता को भी नुकसान पहुँचाया गया।
3. हौथी विद्रोहियों को भी सबक: भूमध्य सागर और अरब सागर के बीच चलने वाले जहाजों पर हमला करके उसके समुद्री व्यापार को बाधित करने वाले यमन के हौथी विद्रोहियों पर भी इज़राइल ने हमला किया। इस तरह, इज़राइल ने ईरान के क्षेत्रीय प्रभुत्व को कमजोर करने की कोशिश की। हिजबुल्लाह पर हमले के जवाब में, हौथी विद्रोहियों ने इज़राइल पर मिसाइल और ड्रोन से हमला किया था। इसके बाद, इज़राइल ने अपने लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करके यमन के बिजली संयंत्रों और बंदरगाहों पर हमला किया।
4. इराक, सीरिया के आतंकियों पर भी कार्रवाई: इज़राइली सेना ने ईरान समर्थित इराकी और सीरियाई आतंकवादियों को भी निशाना बनाया। इनमें सबसे महत्वपूर्ण था इराक के अल-नुजबा सशस्त्र गुट पर हमला। शिया गुट से जुड़ा यह आतंकी संगठन कई स्थानीय संघर्षों और युद्धों में शामिल रहा है, और इज़राइल इनका साझा दुश्मन होने के कारण इस छोटे से देश पर हमला करने के लिए आगे आया था। हालाँकि युद्ध में उनकी उपस्थिति अधिक हानिकारक नहीं रही है, लेकिन उन्होंने इज़राइल के लिए युद्ध को कठिन बना दिया है।
5. ईरान समर्थित गुटों के साथ संघर्ष: ईरान, जो मानता है कि इज़राइल का विनाश ही पश्चिम एशिया की समस्याओं का समाधान है, हमास, हिजबुल्लाह, हौथी, इराकी और सीरियाई आतंकवादियों को पैसे, हथियार और युद्ध रणनीति प्रदान करके उनका समर्थन करता रहा है। सीरिया में अपने दूतावास पर हुए हमले के जवाब में, ईरान ने अप्रैल में पहली बार अपनी धरती से सीधे ड्रोन, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें दागी थीं। इससे नाराज इज़राइल ने उसके समर्थित गुटों पर हमला करके बदला लेना शुरू कर दिया है।