सार

सफेद फास्फोरस बम को संयुक्त राष्ट्र सहित ग्लोबल एजेंसियों ने बैन लगाया हुआ है। सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि इजरायली सेना गाजा की नागरिक आबादी पर सफेद फास्फोरस का इस्तेमाल कर रही है।

Israel Hamas War: फिलिस्तीनी ग्रुप हमास के इजरायल पर शनिवार को 5 हजार रॉकेट्स से किए गए हमले के बाद इजरायल की जवाबी कार्रवाई तीन दिनों से जारी है। इजरायल ने बड़े पैमाने पर गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों को तहस-नहस किया है। इजरायली कार्रवाई के बाद यह आरोप लग रहे कि वह सघन आबादी वाले क्षेत्रों में सफेद फास्फोरस बमों का उपयोग कर रहा है। सफेद फास्फोरस बम को संयुक्त राष्ट्र सहित ग्लोबल एजेंसियों ने बैन लगाया हुआ है। सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि इजरायली सेना गाजा की नागरिक आबादी पर सफेद फास्फोरस का इस्तेमाल कर रही है। दरअसल, इजरायल हमास के नियंत्रण वाले गाजापट्टी पर कब्जा करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दिया है।

गाजापट्टी दुनिया के सबसे अधिक भीड़-भाड़ वाली जगहों में से एक है। यह करीब 362 वर्ग किलोमीटर की बसावट वाला क्षेत्र है। यहां करीब दो मिलियन से अधिक लोग निवास करते हैं।

सफेद फास्फोरस क्या है?

सफ़ेद फॉस्फोरस, एक मोम जैसा पदार्थ है जो पीले रंग का दिखता है। इसमें लहसुन जैसी तीखी गंध होती है। यह अत्यधिक ज्वलनशील केमिकल है। यह हवा के संपर्क में आते ही तेजी से जल उठता है और काफी चमकीला दिखता है। इसका उपयोग अमेरिका सहित दुनिया भर की सेनाएं पहले दुश्मनों पर हमला करने के दौरान आग लगाने के लिए करती थीं। रात में रोशनी के लिए भी व्हाइट फास्फोरस का उपयोग किया जाता था। जब सफेद फास्फोरस जलता है तो इसके केमिकल रिएक्शन से काफी गर्मी उत्पन्न होती है। यह गर्मी करीब लगभग 815 डिग्री सेल्सियस की होती है। फास्फोरस, तेज लाइट पैदा करने के साथ गाढ़ा सफेद धुआं भी पैदा करता है। सेनाएं इसके उपयोग से स्मोकस्क्रीन भी बनाती हैं।

तेजी से जमीन पर पकड़ता है आग

सफेद फास्फोरस जमीन पर तेजी से फैलने वाली और व्यापक आग का कारण बन सकता है। एक बार अगर यह आग पकड़ ले तो इससे छुटकारा पाना मुश्किल है। क्योंकि सफेद फास्फोरस शरीर या जमीन या किसी चीज पर चिपकने के बाद बेहद खतरनाक रूप से जलता है। मनुष्य के शरीर में चिपकने के बाद यह जब जलने लगता है तो गंभीर जलन तो पैदा करता ही है, हड्डियों और टिश्यूज तक पहुंच जाता है। सबसे अहम यह कि अगर किसी तरह इसका उपचार हो भी गया तो दुबारा ऐसी स्थितियां हो सकती हैं।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1972 में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें आग लगाने वाले हथियारों को डरावनी दृष्टि से देखे जाने वाले हथियारों की श्रेणी कहा गया। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि आग लगाने वाले हथियार वे हथियार या युद्ध सामग्री हैं जो वस्तुओं में आग लगाने या लौ, गर्मी या उसके संयोजन की क्रिया के माध्यम से लोगों को जलाने या श्वसन संबंधी चोट पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। यह किसी ज्वलनशील पदार्थ जैसे नेपलम या सफेद फास्फोरस के केमिकल रिएक्शन से होता है।

इसके बाद 1980 में एक महत्वपूर्ण समझौता पर दुनिया के देश सहमत हुए। दुनिया कुछ ऐसे हथियारों पर प्रतिबंध लगाने या उनके उपयोग को सीमित करने पर सहमत हुई जो नागरिकों को बहुत अधिक दर्द या नुकसान पहुंचाते हैं। इस समझौते का प्रोटोकॉल III, आग लगाने वाले हथियारों के उपयोग को प्रतिबंधित करता है।