सार
इमरान खान की सरकार गिर चुकी है। पाकिस्तान में हुए सत्ता परिवर्तन में देश के कई ऐसे किरदारों की भूमिका महत्वपूर्ण हैं जो करीब एक महीना से लगातार इमरान खान को हटाने के साथ उनकी राजनीतिक चाल को भी मात दे रहे थे।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद से इमरान खान को रविवार को नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद पद से हटा दिया गया। 2018 में गठबंधन करके सत्ता में आई पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को आखिरकार विपक्ष के मजबूत इरादों के बाद सत्ता से जाना पड़ा है। इमरान खान की पार्टी संसद में बहुमत साबित न कर सकी और पूरे दिन चले हाईवोल्टेज ड्रामा के बाद यह पाकिस्तान में शनिवार की देर रात सत्ता परिवर्तन हो गया। आखिरी गेंद तक खेलने का ऐलान करने वाले इमरान खान को कुर्सी से हटाने और पाकिस्तान सत्ता परिवर्तन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले चेहरों के बारे में आईए जानते हैं...
तीन बार के सीएम, अपने शायराना अंदाज के लिए भी जाने जाते
तीन बार के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ। नवाज शरीफ ब्रिटेन में निर्वासित जीवन जी रहे हैं लेकिन देश में सत्ता परिवर्तन के लिए उनके भाई शहबाज शरीफ ने विपक्ष की एकजुटता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। 70 वर्षीय राजनीतिक दिग्गज शहबाज पंजाब के तीन बार सीएम रहे हैं। वह पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के साथ विपक्ष के नेता भी हैं। एक कठोर प्रशासक के रूप में पहचान बनाने वाले शहबाज को भाषणों में क्रांतिकारी कविता को उद्धृत करने के लिए जाना जाता है और उन्हें वर्कहॉलिक माना जाता है।
बिंदास जीवन जीने वाले जरदारी कहे जाते हैं मिस्टर टेन परसेंट?
एक धनी सिंध परिवार से ताल्लुक रखने वाले, जरदारी अपनी शानदार व बिंदास जीवनशैली के लिए बेहतर जाने जाते रहे हैं। हालांकि, देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो से अरेंज मैरिज के बाद वह राजनीतिक जीवन में कदम रखे। कथित तौर पर सरकारी अनुबंधों से की गई कटौती के लिए "मिस्टर टेन प्रतिशत" उपनाम से भी विख्यात रहे हैं। पूरे उत्साह के साथ राजनीति में कदम रखने वाले जरदारी कथित भ्रष्टाचार, नशीली दवाओं की तस्करी और हत्या से संबंधित आरोपों में दो बार जेल जा चुके हैं। हालांकि, कभी भी मुकदमे का सामना नहीं करना पड़ा। 67 वर्षीय जरदारी 2007 में भुट्टो की हत्या के बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष बने और एक साल बाद पीएमएल-एन के साथ गठबंधन के बाद देश के राष्ट्रपति बने।
बिलावल भुट्टो जरदारी, जो अपनी खास उर्दू के लिए हैं जाने जाते
बेनजीर भुट्टो और आसिफ जरदारी के बेटे राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं। अपनी मां की हत्या के बाद महज 19 साल की उम्र में पीपीपी के अध्यक्ष बने। ऑक्सफोर्ड-शिक्षित 33 वर्षीय बिवालव को अपनी मां की छवि में एक प्रगतिशील माना जाता है। वह अक्सर महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर बात करते दिख जाते हैं।
पाकिस्तान की आधी से अधिक आबादी 22 वर्ष या उससे कम आयु की है और भुट्टो सोशल मीडिया पर युवाओं के साथ हिट है। हालांकि राष्ट्रीय भाषा उर्दू की खराब कमान के लिए उनका अक्सर मजाक उड़ाया जाता है।
हर सरकार का चहेता मुल्ला डीजल
एक तेजतर्रार इस्लामवादी कट्टरपंथी के रूप में राजनीतिक जीवन शुरू करने के बाद, मुस्लिम मौलवी ने वर्षों से अपनी सार्वजनिक छवि में लचीलापन लाने की कोशिश की है। वह अपनी पार्टी का गठबंधन देश की सभी पार्टियों के साथ कर चुके हैं। मदरसा के हजारों छात्रों को लामबंद करने की क्षमता रखने वाले मौलाना की जमीयतुल उलेमा-ए-इस्लाम (एफ) पार्टी कभी भी अपने दम पर सत्ता के लिए पर्याप्त समर्थन नहीं जुटा पाती है, लेकिन आमतौर पर किसी भी सरकार में एक प्रमुख खिलाड़ी होती है। ईंधन लाइसेंस से जुड़े भ्रष्टाचार में उनकी कथित भागीदारी के लिए उन्हें "मुल्ला डीजल" कहते हैं।
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