सार

FATF Grey List चार साल बाद भी पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकल नहीं सका है। पाकिस्तान ने ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए काफी कोशिशें की है लेकिन उसको सफलता नहीं मिल सकी है। 

पेरिस। पाकिस्तान(Pakistan) को एफएटीएफ (FATF) से एक बार फिर झटका लगा है। चार साल बाद भी पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकल नहीं सका है। पाकिस्तान ने ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए काफी कोशिशें की है लेकिन उसको सफलता नहीं मिल सकी है। एफएटीएफ (Financial Action Task Force) ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा है। शुक्रवार की देर रात को FATF ने बयान जारी कर यह सुझाव दिया है कि पाकिस्तान को टेरर फंडिंग रोकने के लिए और सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है। 

क्या कहा एफएटीएफ ने? पाकिस्तान ने साधी चुप्पी

FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में अभी भी रखने के लिए एक बयान जारी किया है। बयान में संस्था ने पाकिस्तान को फिर चेतावनी देते हुए कहा कि पाकिस्तान को टेरर फंडिंग रोकने के लिए अभी भी सख्त कदम उठाने की जरूरत है। एफएटीएफ ने बताया कि हमने ऑन साइट वेरिफिकेशन किया है। वेरिफिकेशन में यह तथ्य सामने आए कि अभी और काम किए जाने की जरूरत है क्योंकि आतंकवाद पर लगाम कसने के काम अभी तक जमीनी स्तर पर नहीं दिख रहे हैं। पाकिस्तान को ऐसा काम करना चाहिए ताकि टेरेरिज्म पर लगाम जमीनी स्तर पर भी नजर आए। उधर,पाकिस्तान सरकार की तरफ से अब तक इस मामले पर कोई बयान नहीं आया है। दरअसल, पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार अपने डेलिगेशन के साथ चार दिनों से FATF की मीटिंग के लिए गईं थीं।

बीते साल भी पाकिस्तान को मिली थी चेतावनी

पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है। पाकिस्तान की कंगाली के मुहाने पर खड़ा है। वह इतना लाचार हो चुका है कि अब उसे कोई जल्दी कर्ज देने को भी तैयार नहीं हो रहा है। ऐसे में एफएटीएफ के फैसले से इन देश को और अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। 

ग्रे लिस्ट जारी करता है एफएटीएफ

एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और प्रसार से निपटने के लिए किए गए उपायों का प्रभावी कार्यान्वयन वित्तीय बाजारों में विश्वास पैदा करने, एक स्थायी रिकवरी सुनिश्चित करने और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता की रक्षा करने के लिए आवश्यक सुझाव देने के साथ एक लिस्ट जारी करता है। एफएटीएफ मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) और आतंकवाद के लिए फंडिंग (Terror Funding) से निपटने में कमियों के लिए 'Grey List' जारी करता है। इनमें उन देशों को रखा जाता है जो मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े हों या टेरर फंडिंग में लिप्त रहते हैं।