सार
Pakistan terrorism: मिडिल ईस्ट फोरम के शोध निदेशक जोनाथन स्पायर ने पाकिस्तान के इस्लामी आतंकी संगठनों को लेकर पश्चिमी मीडिया की रिपोर्टिंग पर गंभीर सवाल उठाए। जानिए कैसे वैश्विक चुप्पी भारत के लिए सुरक्षा चुनौती बन रही है।
Pakistan Islamic Terrorism: पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद जहां भारत पाकिस्तान के खिलाफ सख्त तेवर अपना रहा है, वहीं वैश्विक मंचों और मीडिया में इस आतंकी हमले को लेकर अपेक्षित प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली। इस पर मिडिल ईस्ट फोरम के शोध निदेशक जोनाथन स्पायर ने तीखा बयान देते हुए कहा है कि जब इस्लामी आतंकवादी पश्चिमी देशों को निशाना बनाते हैं तो उन्हें बेझिझक आतंकवादी कहा जाता है लेकिन जब वे भारत या अन्य गैर-पश्चिमी आबादी पर हमला करते हैं तो तटस्थता की भाषा बोलने लगते हैं।
आतंक पर दोहरा मापदंड?
जोनाथन स्पायर ने एक साक्षात्कार में स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह व्यवहार न केवल नैतिक रूप से गलत है बल्कि खराब पत्रकारिता का उदाहरण भी है। पाकिस्तान द्वारा इस्लामी आतंकी संगठनों का समर्थन मौजूदा हालात की जड़ है। पश्चिमी मीडिया अगर इस सच्चाई को नज़रअंदाज़ करता है, तो वह वैश्विक सुरक्षा को खतरे में डालता है।
पाकिस्तान और जिहादी संगठनों का गठजोड़
स्पायर ने पाकिस्तान की तुलना तुर्की और ईरान से करते हुए कहा कि नीति के उपकरण के रूप में छद्म इस्लामी आतंकी संगठनों का उपयोग करना पाकिस्तान की एक स्थापित रणनीति बन चुकी है। यह अंतरराष्ट्रीय नियमों और मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने साफ किया कि ये संगठन आतंक को 'स्टेट पॉलिसी' के रूप में इस्तेमाल करते हैं और पाकिस्तान की सेना तथा ISI इनकी संरक्षक हैं।
टीआरएफ, लश्कर और हमास: एक ही विचारधारा?
पहलगाम हमले को लेकर उन्होंने चेताया कि The Resistance Front (TRF) कोई नया संगठन नहीं बल्कि लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन का ही शैडो है और इनकी विचारधारा तथा रणनीति हमास से मेल खाती है। स्पायर ने कहा कि कुछ वैचारिक अंतर जरूर हो सकते हैं लेकिन मोटे तौर पर ये आतंकी संगठन एक ही स्कूल से निकले हैं और इस्लामी जिहादी नेटवर्क का हिस्सा हैं। इनका सिर्फ एक ही मकसद है।