सार

इमरान खान (imran khan) पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्हें विश्वास मत में हार का सामना करना पड़ा है। पाकिस्तान में अभी तक कोई भी पीएम अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। 

इस्लामाबाद.  सोमवार को शहबाज शरीफ (shahbaz sharif) को पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया है। शहबाज शरीफ पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के तीन बार मुख्यमंत्री भी रहे हैं। पीएम चुने जाने से पहले वो पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता थे। पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने इमरान के खिलाफ जमकर हमला बोला था। आइए जानते हैं शहबाज शरीफ कौन हैं?

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शहबाज शरीफ, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं। 23 सितंबर, 1951 को मियां कबीले में पंजाबी भाषी परिवार में जन्मे शहबाज के पिता एक उद्योगपति थे। परिवार व्यापार के लिए कश्मीर के अनंतनाग से आया था और फिर अमृतसर के जाति उमरा गांव में बस गया था। विभाजन के बाद, उनके माता-पिता अमृतसर से लाहौर चले गए। शहबाज शरीफ ने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी से बीए किया। नवाज शरीफ को पद से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद पीएमएल-एन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। 

1988 में पहली बार लड़ा चुनाव
शहबाज शरीफ का पेशा व्यापार है। लेकिन उन्होंने 1988 में अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की।  1988 के आम चुनाव में वो पंजाब की प्रांतीय विधानसभा के लिए चुने गए। 1997 में वो पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री बने लेकिन 1999 में हुए सैन्य तख्तापलट ने राष्ट्रीय सरकार को हटा दिया। इसके बाद शहबाज और उनकी फैमली कुछ सालों तक सऊदी अरब में रही। शहबाज 2007 में फिर पाकिस्तान लौटे।  2008  और 2013 में फिर वो पंजाब प्रांत के सीएम बने। हालांकि 2018 में उनकी पार्टी चुनाव हार गई।

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2019 में नेशनल एकाउंटबिल्टी ब्यूरो (NAB) ने उनके और उनके बेटे के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया और उनकी 23 संपत्तियों को जब्त कर लिया। उनके और उनके परिवार के खिलाफ 7,328 मिलियन रुपये की संपत्ति जमा करने का आरोप लगा। सितंबर 2020 में उन्हें इसी केस में गिरफ्तार किया गया हालांकि 2021 में लाहौर हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया।
 
हिटलर से की थी इमरान की तुलना
शहबाज शरीफ, इमरान खान पर लगातार निशाना साधते रहे हैं। उन्होंने इमरान खान की तुलना हिटलर से भी की। उन्होंने इमरान सरकार के नेशनल असेंबली को भंग करने और उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के फैसले को असंवैधानिक बताया था।