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पुरानी बैटरी को नहीं समझें कचरा, रीसाइक्लिंग से होगी अरबों रुपए की बचत, कम होगा प्रदूषण

मोबाइल फोन हो या इलेक्ट्रिक व्हीकल, इनमें लिथियम-आयन बैटरी होती है। ये महंगे हैं, जिसके चलते प्रोडक्ट की कीमत बढ़ जाती है। ऐसे में पुरानी बैटरियों की रीसाइक्लिंग महत्वपूर्ण हो जाती है। इससे अरबों रुपए की बचत होगी और पर्यावरण को लाभ होगा।

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Vivek Kumar
Published : Aug 20 2025, 04:57 PM IST
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पुरानी बैटरियों की रीसाइक्लिंग से होगी ऊर्जा की बचत
Image Credit : Getty

पुरानी बैटरियों की रीसाइक्लिंग से होगी ऊर्जा की बचत

पुरानी लिथियम बैटरियों को कई बार फेंक दिया जाता है। ये ग्रीन एनर्जी के भविष्य के लिए सोने की खान साबित हो सकती हैं। नए शोध से पता चलता है कि पुरानी बैटरियों की रीसाइक्लिंग करने से पर्यावरण की रक्षा होगी। इसके साथ ही ऊर्जा भंडारण की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। रीसाइक्लिंग से लिथियम तैयार करने में लगने वाली ऊर्जा की बचत होगी।

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लिथियम बैटरियां क्यों महत्वपूर्ण हैं?
Image Credit : Getty

लिथियम बैटरियां क्यों महत्वपूर्ण हैं?

लिथियम-आयन बैटरियां इलेक्ट्रिक कार, मोबाइल फोन और सोलर एनर्जी सिस्टम जैसी चीजों को ऊर्जा देती हैं। जैसे-जैसे स्वच्छ ऊर्जा का विकास हो रहा है इन बैटरियों को बनाने के लिए एक प्रमुख सामग्री लिथियम की आवश्यकता बढ़ रही है। लिथियम का खनन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। इसमें बहुत अधिक जमीन, पानी और ऊर्जा का इस्तेमाल होता है।

दूसरी ओर, रीसाइक्लिंग लिथियम पाने का स्वच्छ और कुशल तरीका है। यह कार्बन उत्सर्जन को 61% तक कम कर सकता है। इसमें 83% कम ऊर्जा खपत होती है। खनन की तुलना में 79% कम पानी की जरूरत होती है। रीसाइक्लिंग से रासायनिक प्रदूषण भी कम होता है। इसीलिए विशेषज्ञ अब पुरानी बैटरियों को रीसाइकिल करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

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रिसर्च क्या कहता है?
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रिसर्च क्या कहता है?

ऑस्ट्रेलिया स्थित एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी (ईसीयू) के एक अध्ययन में पाया गया है कि पुरानी लिथियम बैटरियों में कीमती तत्व बचे होते हैं। पीएचडी शोधकर्ता सादिया अफरीन बताती हैं कि वैश्विक लिथियम बैटरी बाजार 2027 तक 87.5 अरब डॉलर (7.61 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंचने की उम्मीद है। हर साल 13% की वृद्धि हो रही है। 2020 से 2026 तक लिथियम का इस्तेमाल चौगुना होने की उम्मीद है।

जब लिथियम बैटरी किसी इलेक्ट्रिक वाहन को बिजली नहीं दे पाती तब भी अक्सर अपनी मूल क्षमता का 80% तक बचाए रखती हैं। इसका मतलब है कि लाखों बेकार बैटरियों में अभी भी लिथियम, निकल और कोबाल्ट जैसे मूल्यवान पदार्थ मौजूद होते हैं। इन्हें रीसाइक्लिंग के जरिए फिर से प्राप्त किया जा सकता है।

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बैटरी रीसाइक्लिंग में हैं पैसा
Image Credit : Getty

बैटरी रीसाइक्लिंग में हैं पैसा

ऑस्ट्रेलिया बैटरी कचरे में भारी वृद्धि से निपटने के लिए तैयार हो रहा है। उसके पास 2035 तक प्रति वर्ष 137,000 टन से अधिक बैटरी रीसाइकल करने की क्षमता होगी। इन बैटरियों की रीसाइक्लिंग अरबों डॉलर का उद्योग बन सकता है। यह प्रति वर्ष 3.1 बिलियन डॉलर (26986 करोड़ रुपए) तक पहुंच सकता है।

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ऑस्ट्रेलिया के पास है अनूठा अवसर
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ऑस्ट्रेलिया के पास है अनूठा अवसर

ऑस्ट्रेलिया में विश्व के सबसे बड़े लिथियम भंडार हैं। यह इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी से चलने वाले खनन उपकरणों के बढ़ते उपयोग के साथ, इस्तेमाल हो चुकी बैटरियों का भी एक बड़ा स्रोत बन रहा है। ईसीयू के डॉ. मुहम्मद अजहर का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया बैटरी रीसाइक्लिंग में अग्रणी बनने की पूरी स्थिति में है। पुरानी बैटरियों से लिथियम प्राप्त करने से पर्यावरण की रक्षा में मदद मिल सकती है और साथ ही नए रोजगार और आर्थिक लाभ भी पैदा हो सकते हैं।

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लिथियम बैटरी रीसाइक्लिंग में हैं चुनौतियां
Image Credit : Getty

लिथियम बैटरी रीसाइक्लिंग में हैं चुनौतियां

स्पष्ट फायदे के बाद भी लिथियम बैटरी रीसाइक्लिंग अभी तक बड़े पैमाने पर नहीं हो रही है। एक समस्या यह है कि तकनीक सरकारी नीतियों से कहीं ज्यादा तेजी से आगे बढ़ रही है, और इसके लिए पर्याप्त स्पष्ट नियम या मानक नहीं हैं। बैटरी के डिजाइन और सामग्री में लगातार बदलाव के कारण सभी के लिए उपयुक्त एक रीसाइक्लिंग विधि बनाना मुश्किल है। शोधकर्ता सादिया अफरीन का कहना है कि बड़े पैमाने पर रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए उचित बुनियादी ढांचे में और अधिक निवेश की जरूरत है।

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कचरे से संसाधन तक
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कचरे से संसाधन तक

पुरानी बैटरियों को लैंडफिल में भेजने के बजाय उन्हें रीसायकल करने से पर्यावरण की रक्षा और संसाधनों की बचत होती है। इससे धरती और अर्थव्यवस्था दोनों को लाभ होता है। जैसे-जैसे दुनिया स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ रही है, एक स्थायी भविष्य के लिए बैटरी रीसाइक्लिंग जरूरी हो जाएगी।

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Vivek Kumar
विवेक कुमार। डिजिटल मीडिया में 12 साल का अनुभव। मौजूदा समय में एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ बतौर सीनियर सब एडिटर काम कर रहे हैं। नेशनल, वर्ल्ड, ट्रेन्डिंग टॉपिक, एक्सप्लेनर, डिफेंस, पॉलिटिक्स जैसे टॉपिक में इनका इंट्रेस्ट है। इन्होंने एमएससी किया हुआ है। मूलतः ये बिहार के रहने वाले हैं।
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