सार

कनाडा के वैंकूवर में रिपुदमन सिंह मलिक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मलिक 1985 के एयर इंडिया 'कनिष्क' आतंकवादी बम विस्फोट में 2 आरोपियों में से एक था। उसे  2005 में इस मामले में बरी कर दिया गया। इस बम ब्लास्ट में 300 से अधिक लोग मारे गए थे।
 

वैंकूवर, कनाडा. 1985 के एयर इंडिया 'कनिष्क' आतंकवादी बम ब्लास्ट के आरोपी रिपुदमन सिंह मलिक( Ripudaman Singh Malik) की कनाडा के वैंकूवर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। मलिक कनिष्क बम ब्लास्ट(1985 Air India ‘Kanishka’ terrorist bombing) के 2 आरोपियों में से एक था। इस बम ब्लास्ट में 300 से अधिक लोग मारे गए थे। मलिक को 2005 में इस मामले में बरी कर दिया गया था। पुलिस के अनुसार, रिपुदमन सिंह मलिक को कनाडा के टाइम के अनुसार शुक्रवार सुबह 9.30 बजे गोलियां मारी गईं। मलिक ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। घटनास्थल से एक जलती हुई गाड़ी देखी गई। हालांकि सूचना मिलते ही पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची और उन्हें प्राइमरी उपचार देकर होश में लाने की कोशिश की गई, लेकिन उन्हें बचाया नहीं ज सका। मलिक के नजदीक से गोलियां मारी गई थीं। मलिक की हत्या क्यों और किसने की, अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है।

एक दशक तक भारत में ब्लैक लिस्टेड थे
रिपुदमन सिंह मलिक को एक दशक तक भारत में घुसने की मनाही थी। वे यहां ब्लैक लिस्टेड थे। लंबी कोशिशों के बाद उन्हें 2020 में भारत में सिंगल एंट्री का वीजा मिला था। इसी साल उन्हें मल्टीपल वीजा मिल सका था। मई में मलिक ने आंध्र प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और महाराष्ट्र की धार्मिक यात्रा पर आए थे। मलिक का नाम 1985 में हुए कनिष्क एयर इंडिया बम ब्लास्ट में आया था। कनाडा से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाले इस विमान में आयरिश हवाई एरिया में ब्लास्ट किया गया था। मलिक को खालिस्तानी से लेकर कई अन्य नामों से भी जाना जाता था। उन पर खालिस्तान समर्थन होने का भी आरोप लगता रहा। हालांकि मलिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसक थे। जब मोदी ने 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के तौर पर घोषित किया, तब मलिक ने एक चिट्ठी लिखकर मोदी की तारीफ की थी। 

फैमिली ने लेटर लिखकर कही ये बात
मलिक के बच्चों ने एक लेटर लिखकर कहा-मेरे पिता रिपुदमन सिंह मलिक (1947-2022) ने गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को बढ़ावा देने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, जिसमें प्रेम, ईमानदारी और सरबत दा भल्ला (सभी मानवता की भलाई) शामिल हैं।

वह 1972 में कनाडा आए और 1986 में खालसा क्रेडिट यूनियन और खालसा स्कूल की स्थापना की, जो अब सबसे बड़ा निजी स्कूल है।

मीडिया हमेशा उन्हें एयर इंडिया बमबारी के आरोपित व्यक्ति के रूप में याद करेगा। उन पर गलत आरोप लगाया गया और अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। मीडिया और आरसीएमपी()Royal Canadian Mounted Police) ने कभी भी कोर्ट के फैसले को स्वीकार नहीं किया। मैं प्रार्थना करता हूं कि आज की ट्रेजेडी उससे रिलेटेड नहीं है।

मेरे पिता की प्रतिबद्धता उनके समुदाय और उनके परिवार के प्रति थी। उनका लक्ष्य शिक्षा और वित्तीय सुरक्षा के माध्यम से अप्रवासी सिख समुदाय को फलते-फूलते देखना था। उनकी विरासत खालसा क्रेडिट यूनियन और खालसा स्कूल के माध्यम से जीवित है। उनके परिवार में पत्नी, 5 बच्चे, 4 बहुएं और 8 पोते-पोतियां हैं।

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