सार
यूक्रेन के विदेश मंत्री डिमिट्रो कुलेबा (Ukraines Foreign Minister Dimitro Kuleba) ने अपना दर्द बयां किया था, बीते दिन मंगलवार को उन्होंने कहा था कि यदि अमेरिका और रूस मिलकर प्रेशर नहीं बनाते तो आज यूक्रेन के पास भी परमाणु हथियारों ना केवल जखीरा होता बल्कि वह इसके जरिए युद्ध से इतर अलग रास्ता खोज सकता था।
वर्ल्ड डेस्क । रूस ने यूक्रेन पर हमले शुरू कर ही दिया। वहीं दुनिया की दो महाशक्तियां यानी रूस और अमरीका के बीच तनाव का खतरा अब बढ़ गया है। ऐसा माना जा रहा है कि रूस अब यूक्रेन को नाटो में जाने से रोकने के लिए पूरी ताकत का इस्तेमाल करेगा। रूस की पूरी रणनीति होगी वह जल्द से जल्द पूरे यूक्रेन पर अपना नियंत्रण स्थापित कर ले। इसके के लिए वह अपने सबसे खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल करने से भी नहीं चूकेगा।
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यूक्रेन ने सीटीबीटी पर किए थे साइन
वहीं इस संभावना के पहले ही यूक्रेन के विदेश मंत्री डिमिट्रो कुलेबा ने अपना दर्द बयां किया था, बीते दिन मंगलवार को उन्होंने कहा था कि यदि अमेरिका और रूस मिलकर प्रेशर नहीं बनाते तो आज यूक्रेन के पास भी परमाणु हथियारों ना केवल जखीरा होता बल्कि वह इसके जरिए युद्धसे इतर अलग रास्ता खोज सकता था। फॉक्स न्यूज के एक इंटरव्यू के दौरान कुलेबा से पूछा गया कि क्या यूक्रेन के लिए अपने परमाणु हथियार छोड़ने सही नहीं था, इसपर बेहद अफसोस जताते हुए कुलेबा ने जवाब दिया कि, "यदि यूएसए ने रूस के साथ मिलकर यूक्रेन को उसके परमाणु हथियारों से वंचित करने की स्थिति नहीं अपनाई होती तो हम एर बेहतर स्थिति में हो सकते थे, हम इसश पर कुछ अलग तरीके से विचार कर सकते थे। यूक्रेन 1994 में अपने देश से परमाणु हथियारों को खत्म करने और परमाणु हथियार अप्रसार संधि में शामिल होने के लिए सहमत हुआ था।
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दोषपूर्ण संधि पर सहमत नहीं भारत
यूक्रेन के इस क्राइसिस से भारत की उस रणनीति को सही ठहराया जो 20 जून, 1996 को भारत ने जिनेवा सम्मेलन में अपनाई थी। भारत ने उस समय सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। बता दें कि सीटीबीटी यानी कॉम्प्रिहेंसिव टेस्ट बैन ट्रीटी (व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि)। दुनिया भर के देशों के बीच एक ऐसा समझौता, जिसमें दुनिया के विभिन्न राष्ट्रों को न्यूक्लियर टेस्टिंग से रोका जा सके। भारत ने व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर अभी तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं। वहीं भारत की आड़ लेकर पाकिस्तान भी इस संधि में शामिल नहीं हुआ है। वहीं दुनिया के कई ई देशों ने अब तक इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है।
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नाटो देश करेंगे मुकाबला
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद नाटो देश समने आए हैं। बताया गया कि ये देश आर्टिकल 4 के तहत रूस पर हमला करेंगे। यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि रूस के आक्रामक सैन्य अभियान का उद्देश्य यूक्रेनी राज्य को नष्ट करना, बल द्वारा यूक्रेनी क्षेत्र को जब्त करना और कब्जे के माध्यम से नियंत्रण करना है। रूसी सेना अस्थायी रूप से कब्जे वाले डोनबास और क्रीमिया के साथ-साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र सहित विभिन्न दिशाओं से यूक्रेनी शहरों पर हमला कर रही है।