सार
Sadhguru विश्व पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए सेव सॉयल अभियान चला रहे हैं। वह 100 दिनों की बाइक यात्रा पर निकले हैं। इस दौरान वह करीब 27 देशों की यात्रा कर लोगों को लोगों को मिट्टी बचाने की अपील कर रहे हैं।
जेनेवा। अध्यात्मिक गुरु और पर्यावरणविद सद्गुरु (Sadhguru) के धरती बचाने के अभियान को जबर्दस्त समर्थन मिल रहा है। विदेशों में सद्गुरु का क्रेज इतना है कि युवक-युवतियां उनका समर्थन करने के लिए अपने शरीर पर टैटू लगाकर अभियान में पहुंच रहे हैं। मंगलवार को सद्गुरु दुबई के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर अभियान के लिए पहुंचे थे।
सेव सॉयल अभियान को लेकर अरब पहुंचे सद्गुरु
सद्गुरु अपने अभियान के लिए समर्थन जुटाने के लिए अरब देशों में पहुंचे हैं। दुनिया के सबसे प्रभावशाली इंटरनेशनल नॉन गवर्नमेंट इस्लामिक संगठनों में से एक मुस्लिम वर्ल्ड लीग ने सेव सॉयल (Save Soil) को अपना समर्थन देने का वादा किया है। ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने रियाद में इंडियन एंबेसी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत किया। उन्होंने मुस्लिम वर्ल्ड लीग के सेक्रेटरी जेनेरल डॉ. अल इसा से मुलाकात कर सेव सॉयल के उद्देश्य को बताया। सेक्रेटरी जेनेरल ने सदगुरु के काम की तारीफ की और कहा कि हमें आपसे आर भी ज्यादा प्रेम हो गया है। आपके काम ने हम सबको प्रेरणा दी है। उन्होंने सदगुरु से कहा कि पहले भी हम आपके काम के प्रशंसक रहे हैं। आपके विचारों से हम सबको लगाव है। लेकिन आप से मिलने के बाद हमें अधिक लगाव हो गया है।
100 दिन के बाइक यात्रा पर हैं सद्गुरु
सद्गुरु 100 दिन की बाइक यात्रा पर हैं। सेव सॉयल अभियान के लिए वह 27 देशों की यात्रा पर हैं। इस दौरान वह 30 हजार किलोमीटर दूरी तय करेंगे। 21 मार्च को उन्होंने लंदन से अपनी यात्रा शुरू की थी।
अपनी यात्रा के दौरान सद्गुरु स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में स्थित संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस में भी पहुंचे थे। वहां उन्होंने विश्व आर्थिक मंच के साथ मीटिंग की थी। सद्गुरु ने यूएनओजी, डब्ल्यूएचओ और आईयूसीएन सहित वैश्विक संगठनों के नेताओं के एक पैनल के बीच मिट्टी बचाओ आंदोलन के बारे में बात कर सबको जागरूक करते हुए उनका समर्थन मांगा।
मिट्टी की रिपोर्ट से सचेत होना पड़ेगा
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (UNCCD) के अनुसार पृथ्वी की 90% से अधिक मिट्टी 2050 तक खराब हो सकती है। इसके चलते दुनिया भर में भोजन और पानी की कमी, सूखा और अकाल, प्रतिकूल जलवायु परिवर्तन, बड़े पैमाने पर पलायन और विनाशकारी संकट पैदा हो सकते हैं। प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं। 'मिट्टी का विलुप्त होना' इस समय मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। हमारा ग्रह तेजी से मिट्टी के क्षरण के कारण भोजन उगाने की क्षमता खो रहा है। सद्गुरु इसे रोकने के लिए मृदा बचाओ आंदोलन चला रहे हैं।
3.5 बिलियन लोगों तक पहुंचना है लक्ष्य
मृदा बचाओ आंदोलन की मदद से देशों में नागरिक समर्थन को सक्रिय और प्रदर्शित करने की कोशिश की जा रही है। यह सरकारों को मिट्टी को पुनर्जीवित करने और आगे गिरावट को रोकने के लिए नीति-संचालित कार्रवाई शुरू करने के लिए सशक्त बनाता है। इसे सक्षम करने के लिए आंदोलन का लक्ष्य 3.5 बिलियन लोगों और दुनिया के 60% मतदाताओं तक पहुंचना है।
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