शुभांशु शुक्ला समेत चार अंतरिक्ष यात्री ISS से धरती के लिए रवाना। 1.3 करोड़ किमी की यात्रा में 300 से ज़्यादा बार देखेंगे सूर्योदय और सूर्यास्त।
Shubhanshu Shukla: भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और Axiom-4 मिशन के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री ISS (International Space Station) से धरती की यात्रा पर हैं। इस दौरान वे 1.3 करोड़ किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेंगे। यह दूरी इतनी अधिक है कि धरती से चंद्रमा पर 33 बार आया जाया जा सके।
ऐसा नहीं है कि धरती से ISS की दूरी 1.3 करोड़ किलोमीटर है। यहां तक सीधे नहीं जाया जाता और न वापस धरती पर सीधे आया जाता है। इसकी जगह अंतरिक्ष यान धरती के चक्कर लगाते हुए धीरे-धीरे ISS तक पहुंचता है और इसी तरह धरती के चक्कर लगाते हुए अपनी कक्षा बदलते हुए धीरे-धीरे वापस लौटता है।
ISS से धरती पर आने में एक्सिओम-4 मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों को 310 से अधिक बार पृथ्वी की परिक्रमा करनी होगी। इस तरह वे 22.5 घंटे की यात्रा में 300 से अधिक बार सूर्योदय और सूर्यास्त देख सकते हैं।
अमेरिका के कैलिफोर्निया में उतरेगा ड्रैगन अंतरिक्ष यान
एक्सिओम-4 मिशन के अंतरिक्ष यात्री 25 जून को अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन-9 रॉकेट पर सवार ड्रैगन (ग्रेस) कैप्सूल में अंतरिक्ष यात्रा पर निकले थे। 26 जून को वे ISS पर पहुंचे। 14 जून को ड्रैगन अंतरिक्ष यान ISS से अलग हुआ और धरती की वापसी यात्रा शुरू की। यह यान मंगलवार को दोपहर करीब तीन बजे अमेरिका के कैलिफोर्निया के समुद्र तट पर पानी में उतरेगा।
सोमवार को दोपहर लगभग 2.11 बजे तक शुक्ला और मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन तैयार होकर ड्रैगन यान के अंदर अपनी सीटों पर बैठ गए थे। मिशन विशेषज्ञ टिबोर कापू और स्लावोज उज्नान्स्की कैप्सूल के अंदर ही थे, लेकिन तैयार नहीं हुए थे। दोपहर 2.47 बजे वे तैयार हुए। इसके बाद दोपहर 2.50 बजे हैच बंद हुआ।
एक्सिओम 4 के चालक दल में कौन-कौन शामिल हैं?
- अमेरिका - कमांडर पैगी व्हिटसन
- भारत - इसरो के अंतरिक्ष यात्री और इंडियन एयरफोर्स के पायलट शुभांशु शुक्ला
- पोलैंड - यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) परियोजना के अंतरिक्ष यात्री स्लावोज "सुवे" उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की
- हंगरी - HUNOR अंतरिक्ष यात्री टिबोर कापू
263.08kg से ज्यादा सामान पृथ्वी पर वापस ला रहा एक्सिओम 4 मिशन
एक्सिओम 4 मिशन के तहत ISS से 580 पाउंड (263.08kg) सामान वापस धरती पर लाया जा रहा है। इसमें नासा के हार्डवेयर और उनके दो हफ्ते के मिशन के दौरान किए गए 60 से ज्यादा प्रयोगों का डेटा शामिल है।
