सार

जापान के शिज़ुओका प्रांत( Shizuoka Prefecture) के स्कूलों में यौन उत्पीड़न(sexual harrasment) को लेकर किए गए एक सर्वे में चौंकाने वाला रिजल्ट मिला है। यहां के 97 मामलों में छात्रों ने महसूस किया कि शिक्षकों द्वारा उनका यौन उत्पीड़न किया गया था। यह सर्वे प्रीफेक्चुरल शिक्षा बोर्ड(prefectural education board) ने कराया है। अकादमिक वर्ष-2021 के दरमियान कराया है।

टोक्यो. जापान के स्कूलों में बच्चों के यौन उत्पीड़न का चौंकाने वाला मामला सर्वे सामने आया है। जापानी मीडिया mainichi.jp में पब्लिश एक रिपोर्ट के अनुसार,जापान के शिज़ुओका प्रांत( Shizuoka Prefecture) के स्कूलों में यौन उत्पीड़न(sexual harrasment) को लेकर किए गए एक सर्वे में चौंकाने वाला रिजल्ट मिला है। यहां के 97 मामलों में छात्रों ने महसूस किया कि शिक्षकों द्वारा उनका यौन उत्पीड़न किया गया था। यह सर्वे प्रीफेक्चुरल शिक्षा बोर्ड(prefectural education board) ने कराया है। अकादमिक वर्ष-2021 के दरमियान कराया है।

प्राइमरी से हाईस्कूल तक के बच्चों पर हुआ सर्वे
शिज़ुओका प्रीफेक्चुरल बोर्ड ऑफ एजुकेशन ने  प्रांत( prefecture) में सार्वजनिक प्राथमिक, जूनियर हाई और सीनियर हाई स्कूलों में छात्रों पर किए गए सर्वेक्षण के परिणामों को संकलित किया है। इस सर्वे को शिक्षा बोर्ड आगे की कार्रवाई के लिए भेजेगा। इसका मकसद स्टूडेंट्स को मार्गदर्शन देना और ऐसे मामलों को रोकने के लिए सुधार की दिशा में आगे की कार्यवाही करना है। स्कूल कर्मचारियों को उनके दैनिक व्यवहार की समीक्षा करने के लिए सर्वेक्षण में प्रतिक्रियाओं के आधार पर एक चेकलिस्ट तैयार करने की भी योजना है।

नवंबर 2021 से मार्च 2022 के बीच किए गए सर्वेक्षण में प्राथमिक विद्यालय की पांचवीं कक्षा से लेकर हाई स्कूल के तीसरे वर्ष के 156,306 छात्रों से पूछताछ की गई। इनमें विशेष आवश्यकता वाले स्कूलों के छात्र भी शामिल थे। जापानी सरकार के अध्यादेश-नामित शहरों(कुछ शहरों) के प्राथमिक और जूनियर हाई स्कूलों को बाहर रखा गया था। घर और अन्य जगहों पर सवालों के जवाब देने से पहले छात्रों को बताया गया कि किस तरह के व्यवहार से यौन उत्पीड़न होता है। छात्रों के होमरूम शिक्षकों(घर पर पढ़ाने वाले) को दरकिनार करते हुए प्राचार्य जैसे प्रबंधकीय स्तर के कर्मचारियों द्वारा प्रतिक्रियाएं एकत्र की गईं।

ऐसे-ऐसे बर्ताव के जरिये यौन उत्पीड़न
सर्वे में 97 मामलों में छात्रों ने महसूस किया कि शिक्षकों द्वारा उनका यौन उत्पीड़न किया गया है। इनमें 46 मामले जूनियर हाई स्कूलों में, 27 प्राथमिक स्कूलों में, 21 हाई स्कूलों में और तीन विशेष-आवश्यकता वाले स्कूलों( special-needs schools) में थे। सर्वे में सामने आया कि 55 केस में बिना वजह शरीर को टच किया गया। 12 मामलों में अनावश्यक निकटता रखी गई। 70 प्रतिशत मामले इसी तरह के निकले। कुछ छात्रों ने यौन उत्पीड़न के उदाहरण दिए। जैसे- एक छात्र ने कहा-एक शिक्षक ने मेरी प्रशंसा करते हुए मेरे सिर पर हाथ फेरा। "एक शिक्षक ने मेरे हाथ को छुआ जब वो मुझे एक क्लब में गाइड कर रहे थे।"एक शिक्षक ने लगभग 40 सेकंड के लिए मेरे कंधे पर हाथ रखा, जब हम जिम हॉल में लाइन में खड़े थे।" एक ने कहा-जब मैंने टीचर का अभिवादन किया, तो महसूस हुआ कि वो मेरी छाती की ओर देख रहे हैं।" एक छात्रा बोला-"एक शिक्षक जब मेरे वजन को तौल रहा था, तब उसने इस बारे में जोर से कहा ताकि अन्य छात्र इसे सुन सकें। "एक शिक्षक ने एक छात्र से कहा, 'तुम मोटे हो गए हो।" हालांकि शिक्षा बोर्ड के एक अधिकारी ने सफाई दी कि इनमें कोई भी मामला ऐसा नहीं था, जो अनुशासनात्मक कार्रवाई के अधीन आता हो। 
 

यह भी पढ़ें
महिलाओं ने पहले किया विरोध फिर ऐसा हुआ कि हो गईं मजबूर...अफगानिस्तान में तालिबानी फरमान पर महिलाओं की आपबीती
इमरान खान ने मरियम नवाज को कहा सेक्सी-'सावधान रहना, तुम्हारा पति इतनी बार मेरा नाम लेने से नाराज हो सकता है'