सार

यति एयरलाइंस के विमान ने काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से रविवार सुबह 10:33 बजे उड़ान भरी थी। पोखरा हवाई अड्डे पर उतरते समय विमान पुराने हवाई अड्डे और नए हवाई अड्डे के बीच सेती नदी के तट पर क्रैश हो गया।

Nepal Plane crash: नेपाल में हुए विमान हादसा में यति एयरलाइन्स के सभी पैसेंजर्स की मौत हो गई है। मरने वालों में भारत के भी पांच नागरिक शामिल हैं। यति एयरलाइंस के विमान ने काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से रविवार सुबह 10:33 बजे उड़ान भरी थी। पोखरा हवाई अड्डे पर उतरते समय विमान पुराने हवाई अड्डे और नए हवाई अड्डे के बीच सेती नदी के तट पर क्रैश हो गया। इस हादसा के बाद नेपाल के घरेलू उड़ान कंपनी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल, नेपाल का यति एयरलाइन बेहद पुराने मॉडल के विमान का आज भी इस्तेमाल कर रही है। साथ ही उसके अन्य सिस्टम भी अपग्रेडेड नहीं है जोकि नेपाल की पहाड़ी जोखिम वाले उड़ान क्षेत्र के लिए बेहद खतरनाक है। दरअसल, नेपाल के पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र वैसे ही उड़ान भरने के लिए काफी खतरनाक माने गए हैं। 

पहले एटीआर मॉडल के बारे में जानिए...

नेपाल के यति एयरलाइन कंपनी का जो विमान हादसा का शिकार हुआ है, वह करीब चार दशक पुराना मॉडल है। एयरक्राफ्ट  ATR 72-500 का पहला मॉडल 1981 में बना था। यह एयरक्राफ्ट फ्रेंच कंपनी एयरबस और इटालियन एविएशन कंपनी लियोनार्दो ने मिलकर बनाया है। यह कंपनियां कार्गो और कॉरपोरट एयरक्राफ्ट भी बनाती हैं। ATR 72-500 में  72 पैसेंजर्स के बैठने की कैपेसिटी है। यह ट्विन-इंजन टर्बोप्रॉप विमान है।

लेकिन यति एयरलाइन नहीं कर रहा खुद को अपग्रेड..

  • फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट FlightRadar24 के अनुसार यति एयरलाइंस का विमान 15 साल पुराना था। हद तो यह कि एयरक्राफ्ट अविश्वसनीय डेटा वाले पुराने ट्रांसपोंडर से लैस था।
  • एक्सपर्ट्स की मानें तो नेपाली एयरलाइन्स के पास दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में सेफ फ्लाइट उड़ाने वाले एक्सपीरियन्स पायलट्स की भी बेहद कमी है। तमाम बार गैर अनुभवी पायलट भी हादसों की वजह बन रहे हैं। 
  • खुद नेपाल एविएशन की रिपोर्ट कहती है कि यह देश उड़ान के लिए अति खतरनाक देश है। नेपाल की सुरक्षा रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल के पहाड़ पायलटों के सामने ‘बड़ी चुनौती’ हैं।
  • पहाड़ी क्षेत्रों का मौसम बड़ी तेजी से बदलता है। नेपाल में माउंट एवरेस्ट सहित 8 सबसे ऊंचे पहाड़ है। तेजी से बदलते मौसम के बीच पायलट्स को फ्लाइट लेकर आगे बढ़ना कई बार इसलिए मुश्किल होता है क्योंकि उनके पास अत्याधुनिक रडार सिस्टम नहीं होते। नेपाल एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स के अशोक पोखरियाल बताते हैं कि पुराने विमानों में मॉडर्न वेदर रडार नहीं होते हैं। इस वजह से पायलट को रियल टाइम में मौसम की जानकारी नहीं मिल पाती है।
  • यति एयरलाइंस की वेबसाइट के अनुसार, उसके पास छह एटीआर72-500 विमानों का बेड़ा है। येती अपनी वेबसाइट पर खुद को नेपाल का एक प्रमुख घरेलू वाहक बताता है।
  • यति एयरलाइंस की उड़ान 9N-ANC ATR-72 रविवार सुबह से अपनी तीसरी उड़ान पर थी। इसने पहले दिन में काठमांडू से पोखरा और वापस काठमांडू के लिए उड़ान भरी।
     

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