सार
दुबई में यूएई इंडिया बिजनेस काउंसिल-यूएई चैप्टर लॉन्च किया गया है। इसका मकसद भारत और यूएई के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में वृद्धि करना है। भारत और यूएई ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
दुबई। भारत और UAE (United Arab Emirates) के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में प्रगाढ़ हुए हैं। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में काफी वृद्धि हुई है। इसे आने वाले दिनों में और आगे बढ़ाने के लिए शनिवार को दुबई में भारत और यूएई द्वारा यूएई इंडिया बिजनेस काउंसिल-यूएई चैप्टर (यूआईबीयूसीयूसी) लॉन्च किया गया। यूएई के विदेश व्यापार राज्य मंत्री डॉ. थानी बिन अहमद अल जायौदी ने इसका शुभारंभ किया।
भारत और यूएई ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही यूएई से भारत में 75 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित करने का भी टारगेट रखा गया है। UIBC-UC से इन लक्ष्यों को पाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे।
डॉ. थानी बिन अहमद ने कहा, “यूएई इंडिया बिजनेस काउंसिल के यूएई चैप्टर के लॉन्च होने से संयुक्त अरब अमीरात और भारत के संबंध और मजबूत होंगे। इससे द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। मुझे विश्वास है कि यह दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए काम करेगा।” यूएई में भारत के राजदूत सुंजय सुधीर ने कहा, "आज का लॉन्च संयुक्त अरब अमीरात और भारत के बीच संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। मैं यूएई इंडिया बिजनेस काउंसिल के सभी संस्थापक सदस्यों को बधाई देता हूं।"
क्या है UIBC-UC?
बता दें कि यूएई इंडिया बिजनेस काउंसिल- यूएई चैप्टर यूआईबीसी इंडिया चैप्टर के समकक्ष संगठन है। UIBC इंडिया चैप्टर की स्थापना 2016 में नई दिल्ली में हुई थी। 3 सितंबर 2015 को नई दिल्ली में भारत-यूएई संयुक्त आयोग की बैठक के दौरान यूआईबीसी को यूएई के राष्ट्रपति (तब कैबिनेट मंत्री थे) शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नहयान और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा लॉन्च किया गया था।
इस परिषद में दोनों देशों के प्रमुख औद्योगिक समूह और स्टेकहोल्डर्स शामिल हैं, जिनमें संयुक्त अरब अमीरात से सॉवरेन वेल्थ फंड और भारत के बड़े समूह जैसे टाटा समूह, रिलायंस और अदाणी के साथ-साथ ओला, जेरोधा और ईजीमायट्रिप जैसे तकनीकी इनोवेटर्स शामिल हैं। यह परिषद संयुक्त अरब अमीरात में काम कर रहे बड़े भारतीय उद्यमियों को एक साथ लाती है। यह दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण परियोजनाओं की खोज और स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप का प्रतिनिधित्व करती है। भारत में निवेश को भी इसके द्वारा बढ़ावा दिया जाता है।