सार
दिल्ली में इन दिनों इंटरपोल (Interpol) की 90वीं सालाना बैठक आयोजित की जा रही है। इसमें 195 सदस्य देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। भारत में यह बैठक 25 साल बाद हो रही है। आखिर क्या है इंटरपोल, कब बना और कैसे काम करती है ये एजेंसी? आइए जानते हैं।
What is Interpol: दिल्ली में इन दिनों इंटरपोल (Interpol) की 90वीं सालाना बैठक आयोजित की जा रही है। इसमें 195 सदस्य देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। बता दें कि भारत में यह बैठक 25 साल बाद हो रही है। इससे पहले 1997 में इसे भारत में आयोजित किया गया था। बता दें कि यह बैठक तीन दिन यानी 18 से लेकर 21 अक्टूबर तक चलेगी, जिसमें वित्तीय अपराधों और भ्रष्टाचार के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। आखिर क्या है इंटरपोल, कब बना और कैसे काम करती है ये एजेंसी? आइए जानते हैं।
क्या है Interpol?
इंटरपोल का पूरा नाम इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गेनाइजेशन (International Criminal Police Organisation) है। यह एक ऐसी संस्था है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी 195 सदस्य देशों की पुलिस के साथ सामंजस्य बैठाकर काम करती है।
कब बना Interpol?
इंटरपोल की स्थापना आज से 99 साल पहले 7 सितंबर, 1923 को हुई। इसका मुख्यालय फ्रांस के ल्योन शहर में है। 2019 के आंकड़ों के मुताबिक, इंटरपोल में 1050 लोग काम करते हैं। वहीं इसका सालाना बजट 142 मिलियन यूरो है। इंटरपोल के दुनियाभर में 7 रीजनल ब्यूरो भी हैं।
भारत कब बना Interpol का मेंबर?
भारत 1949 में इंटरपोल का सदस्य बना। बता दें कि इस एजेंसी में सभी सदस्य देश अपने उन पुलिस ऑफिसर्स को डेपुटेशन पर भेजते हैं, जो क्राइम पर नकेल कसने में माहिर होते हैं। बता दें कि भारत में CBI इंटरपोल और अन्य जांच एजेंसियों के बीच नोडल एजेंसी का काम करती है।
कैसे काम करता है Interpol?
जब भी जब भी कोई अपराधी क्राइम करके विदेश भाग जाता है या उसके विदेश भागने की आशंका होती है तो ऐसे में इंटरपोल एक्टिव हो जाता है। इसके साथ ही इंटरपोल उस अपराधी के खिलाफ लुकआउट या रेड कॉर्नर नोटिस जारी करता है। इसके जारी होते ही संबंधित अपराधी के खिलाफ इंटरपोल के सभी सदस्य देशों को सूचित कर दिया जाता है। इससे उस अपराधी को पकड़ने में आसानी होती है। रेड कॉर्नर नोटिस में अपराधी की पूरी कुंडली होती है।
रेड के अलावा 6 तरह के नोटिस जारी करता है Interpol?
इंटरपोल द्वारा जारी किया गया नोटिस एक तरह से अपराध या अपराधी के बारे में इंटरनेशनल अलर्ट है। इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस के अलावा ब्लैक, येलो, ग्रीन, ऑरेंज, पर्पल और ब्लू नोटिस भी जारी करती है। इन्हें अपराधी और अपराध की गंभीरता के हिसाब से जारी किया जाता है। इंटरपोल अब तक ऐसे 500 से भी ज्यादा रेड नोटिस जारी कर चुका है।
किस नोटिस के क्या हैं मायने?
1- रेड कॉर्नर नोटिस : यह आमतौर पर किसी अपराधी की गिरफ्तारी और उसके प्रत्यर्पण के लिए जारी किया जाता है।
2- ब्लू नोटिस : यह नोटिस किसी शख्स के बारे में अतिरिक्त सूचना देने या पाने के लिए जारी किया जाताहै।
3- ग्रीन नोटिस : यह नोटिस ऐसे शख्स के बारे में चेतावनी होती है, जो पहले ही अपराध कर चुके हैं और उनके बारे में शंका है कि वो किसी दूसरे देश में भी क्राइम कर सकते हैं।
4- यलो नोटिस : यह नोटिस आमतौर पर गुमशुदा या नाबालिग अपराधियों के बारे में सूचना देने के लिए जारी होता है।
5- ब्लैक नोटिस : यह नोटिस तब जारी होता है, जब किसी शव की शिनाख्त नहीं हो पाती है। मतलब अनआइडेंटिफाइड बॉडी के लिए यह जारी होता है।
6- ऑरेंज नोटिस : यह नोटिस बमों, पार्सल बमों आदि की सूचना देने के लिए जारी किया जाता है।
7 पर्पल नोटिस : यह नोटिस अपराधियों द्वारा उपयोग की जाने वाले दैनिक गतिविधियों के अलावा छिपने के स्थानों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए जारी किया जाता है।
इसके साथ ही इंटरपोल उन व्यक्तियों और संस्थाओं को लेकर भी नोटिस जारी करता है, जिन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पाबंदियां लगाई जाती हैं।
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