सार
ईरान ने मंगलवार रात पाकिस्तान के बलूचिस्तान इलाके में मिसाइल और ड्रोन से एयर स्ट्राइक की। इस हमले जानकारी ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी नूर ने कहा कि हमले में जिहादी ग्रुप "जैश-अल-अदल" के पाकिस्तान स्थित हेडक्वार्टर को नष्ट कर दिया है।
नई दिल्ली. ईरान ने मंगलवार रात पाकिस्तान के बलूचिस्तान इलाके में मिसाइल और ड्रोन से एयर स्ट्राइक की। हमले जानकारी देते हुए ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी नूर ने कहा कि हमले में जिहादी ग्रुप "जैश-अल-अदल" के पाकिस्तान स्थित हेडक्वार्टर को नष्ट कर दिया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दो बच्चे मारे गए है। वहीं तीन लड़किया घायल हुई है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ईरान ने हमारे एयर स्पेस का उल्लंघन किया है, ऐसे में ईरान को गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे। पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक कारण जैश-अल-अदल को बताया जा रहा है।
जैश-अल-अदल क्या है
जैश-अल-अदल एक सुन्नी जिहादी संगठन है। यह पाकिस्तान के बलूचिस्तान से सटे दक्षिण-पूर्वी सीमा से ऑपरेट होता है। जैश-अल-अदल का मतलब न्याय की सेना है। इस संगठन का गठन 2012 में हुआ था। यह सुर्खियों में तब आया जब साल 2013 में 14 ईरानी गार्ड को मारने की जिम्मेदारी ली थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस आतंकी समूह ने कहा था कि यह हमला सीरिया में ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के अपराधों और ईरान में सुन्नियों के शोषण का जवाब हैं।
यह संगठन सिस्तान और बलूचिस्तान को आजाद करने की बात करता हैं। साथ ही ईरान में बलूच नागरिकों के अधिकारों के लिए लड़ने का दावा करता हैं। इस समय इस संगठन का नेतृत्व सलाउद्दीन फारूकी कर रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जैश-अल-अदल की स्थापना जुंदाल्लाह नाम के आतंकी संगठन के सदस्यों ने की थी। यह भी एक सुन्नी आतंकी समूह था, जिसका अंत साल 2010 में हुआ था। दरअसल, जुंगाल्लाह के नेता अब्दोलमलेक रिगी को पकड़ लिया और उसे मार दिया था।
जैश-अल-अदल के ईरान पर हमले
जैश-अल-अदल ने गठन के बाद से ही सिस्तान और बलूचिस्तान से सटे ईरानी सीमा पर तैनात सैनिकों को निशाना बनाया। साल 2023 में ईरान के दो पुलिस स्टेशन पर हमले की जिम्मेदारी ली। इस हमले में 2 पुलिस अधिकारी और 4 हमलावर मारे गए। बीते साल 15 दिसंबर को जैश-अल-अदल के आतंकियों ने एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया, जिसमें 11 पुलिसकर्मी मारे गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान के अलगाववादी संगठन कुर्द जैश-अल-अदल की मदद करता है। ईरान की आधिकारिक मीडिया ने अमेरिका और सऊदी अरब पर जैश-अल-अदल का समर्थन करने का आरोप लगाया है। हालांकि, वाशिंगटन डीसी ने जैश-अल-अदल को आतंकवादी संगठन करार दिया है। अमेरिका का कहना है कि यह संगठन ईरानी सुरक्षा कर्मियों को निशाना बनाता है। इतना ही नहीं सरकारी अधिकारियों और नागरिकों के अपहरण और हत्या की वारदातों को भी अंजाम देता है। ईरान ने जैश-अल-अदल को आतंकवादी संगठन घोषित करते हुए ब्लैकलिस्ट किया है।
आखिर कैसे काम करता है जैश-अल-अदल
जैश-अल-अदल ने ज्यादातर हमले पाकिस्तान-ईरान की सीमा पर ही पर ही किए है। यह संगठन पाकिस्तान को छिपने के लिए अड्डे के तौर इस्तेमाल करता है। ऐसे में यह एक ऐसा मुद्दा है, जिससे पाकिस्तान और पड़ोसी मुल्कों के बीच कड़वाहट पैदा करता है। जैश-अल-अदल के आतंकी सीमा चौकियों और सैन्य काफिले को निशाना बनाता है। इसके लिए आतंकी छोटे हथियार और रॉकेट लॉन्चरों का उपयोग करता है। यह संगठन गुरिल्ला पद्धति के लिए भी जाना जाता है।
द ईरान प्राइमर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, जैश-अल-अदल बड़े पैमाने पर ऑपरेशन को ऑनलाइन बढ़ावा देता है। इस संगठन के आतंकी आमतौर पर पीछे नहीं नहीं हटते है। सरकारी काफिलों पर ये आतंकी रात के समय छापे के दौरान इन्फ्रारेड तकनीक का इस्तेमाल करते है। इसी रिपोर्ट के मुताबिक, अतिसक्रियता और भौगोलिक ज्ञान होने के कारण जैश-अल-अदल बलूच का सबसे खतरनाक विद्रोही बन गया है।
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