सार

गाजा के लोग अंधेरे में जी रहे हैं। उनके पास न तो खाने के लिए अनाज है और न पीने के लिए पानी। लेकिन बाजवूद इसके 57 इस्लामिक देशों में कोई भी अब तक गाजा के शरणार्थियों को अपने यहां शरण देने के लिए तैयार नहीं है। आखिर क्या है इसकी वजह, जानते हैं। 

Why Islamic Countries not allowing Gaza Refugees: फिलिस्तीन समर्थित आतंकी संगठन हमास और इजराइल के बीच युद्ध को 13 दिन हो चुके हैं। इस युद्ध में अब तक दोनों तरफ से करीब 5000 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 12 हजार लोग घायल हैं। गाजा के लोग अंधेरे में जी रहे हैं। उनके पास न तो खाने के लिए अनाज है और न पीने के लिए पानी। हालात बद से बदतर हो चुके हैं। लेकिन बाजवूद इसके 57 इस्लामिक देशों में कोई भी अब तक गाजा के शरणार्थियों को अपने देश में शरण देने के लिए तैयार नहीं है। आखिर क्या हैं वो वजहें, कि इन्हें कोई शरण देने को राजी नहीं है।

1- शरण दी तो मिस्र बन जाएगा इजरायल के खिलाफ हमलों का अड्डा

बता दें कि मिस्र की सीमा गाजा से लगती है, जबकि जॉर्डन की सीमा वेस्ट बैंक से लगती है। दोनों ही देशों ने गाजा से शरणार्थियों को लेने से साफ इनकार कर दिया है। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी का कहना है कि अगर बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी उनके देश में आ गए तो कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। सबसे बड़ा डर ये है कि भविष्य में मिस्र इजरायल के खिलाफ हमलों के अड्डे में बदल सकता है।

2- दूध का जला जॉर्डन छाछ भी फूंक-फूंक कर पी रहा

मुस्लिम देश फिलिस्तीनियों को शरण न देने के पीछे वैसे तो कई कारण गिनाते हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण उन्हें अपने देश की डेमोग्राफी चेंज होने का डर है। जॉर्डन ने एक बार लाखों फिलिस्तीनी नागरिकों को शरण दी थी, लेकिन नतीजा ये हुआ कि फिलिस्तीनी जॉर्डन के शाह के ही दुश्मन बन गए। ऐसे में दूध का जला जॉर्डन अब छाछ भी फूंक-फूंक कर पी रहा है।

3- मुस्लिम देशों को धार्मिक संरचना में बदलाव का डर

जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय ने कहा है कि हम फिलिस्तीन का कोई शरणार्थी अपने यहां नहीं लेगा। हम पहले से ही मुस्लिम बहुल राष्ट्र हैं और हमारे यहां फलीस्तीनी लोगों की बड़ी आबादी रहती है। ज्यादातर मुस्लिम देशों के मन में सबसे बड़ा डर इस बात का भी है, कि फिलिस्तीनी शरणार्थियों के आने से उनके देश की धार्मिक संरचना में बदलाव आ सकता है। मुस्लिम देशों का कहना है कि इजराइल गाजा से फलीस्तीनियों को स्थायी तौर पर भगा देना चाहता है, ताकि उनकी अपने देश को मांगने की डिमांड कमजोर हो जाए।

4- शरणार्थियों को जगह दी तो फिलिस्तीन हाथ से निकल जाएगा

ज्यादातर अरब देशों का मानना है कि अगर उन्होंने अपने देशों में फिलिस्तीनी नागरिकों को शरण दी तो ये एक तरह से फिलिस्तीन की मांग को कमजोर या खत्म करने जैसा होगा। क्योंकि फिलिस्तीनियों को शरण मिलने के बाद वो हर एक इस्लामी देश में जाकर बस जाएंगे और फिलिस्तीन खाली हो जाएगा, जहां इजराइल आराम से कब्जा जमा लेगा। यानी मुस्लिम देश बातें तो बड़ी-बड़ी करते हैं, लेकिन जब अपने ही लोगों को शरण देने की बात आती है तो बेतुके तर्क देते हैं।

5- हर इस्लामी देश के हिस्से सिर्फ 35 हजार फिलिस्तीनी

गाजा पट्टी में करीब 20 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं। दुनियाभर में 57 इस्लामिक देश हैं। ऐसे में हर एक देश फिलिस्तीनियों को शरण दे तो एक-एक के जिम्मे महज 35 हजार फिलिस्तीनी शरणार्थी आएंगे। हर तरह से संपन्न इस्लामी देश इतनी छोटी आबादी को तो पाल ही सकते हैं।

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