सार
अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से ही चीन बौखलाया हुआ है। यहां तक कि चीन ने ताइवान को चारों तरफ से घेर कर मिलिट्री ड्रिल भी शुरू कर दी है। चीन अपनी इस ड्रिल से न सिर्फ ताइवान बल्कि अमेरिका को भी धमका रहा है। हालांकि, ताइवान अपनी खास रणनीति के चलते चीन जैसे ताकतवर मुल्क से भी नहीं डर रहा है।
China-Taiwan War: अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से ही चीन आगबबूला है। अमेरिका के इस कदम से बौखलाए चीन ने ताइवान को चारों तरफ से घेर लिया है। इसके साथ ही उसने फायर ड्रिल भी शुरू कर दी है। गुरुवार को चीन की कई मिसाइलों ने ताइवान के पास उड़ान भरते हुए समुद्र में अपने टारगेट को हिट किया। चीन अपनी इस ड्रिल से न सिर्फ ताइवान बल्कि अमेरिका और जापान को भी धमका रहा है। वैसे, देखा जाए तो चीन के सामने ताइवान कहीं नहीं टिकता है लेकिन बावजूद इसके ताइवान पर चीन की धमकियों का कोई असर नहीं दिख रहा है। आखिर क्या हैं वो वजहें, जिनके चलते ताइवान चीन जैसे ताकतवर मुल्क से भी नहीं डर रहा है।
1- ताइवान की 'पार्कयूपाइन' स्ट्रैटजी :
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ताइवान ने चीन के खिलाफ 'पार्कयूपाइन' (साही) स्ट्रैटजी अपनाई है। जिस तरह 'पार्कयूपाइन' के शरीर पर नुकीले कांटों की तरह बाल होते हैं और खतरा होने यह जीव अपनी सुरक्षा के लिए इन कांटो को फैला देता है। इसी तरह, ताइवान ने भी अपनी सिक्योरिटी के लिए ऐसी स्ट्रैटजी अपनाई है, जिससे चारों तरफ से कई देश उसके लिए सुरक्षा घेरा बनाए बैठे हैं।
2- ताइवान का बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम :
ताइवान की स्ट्रैटजी चीन को उसी के समुद्र तट पर घेरने और हमला करने की है। ताइवान के पास पैट्रियट पीएसी-3 एयर डिफेंस सिस्टम जैसे हथियार हैं, जो चीन की मिसाइलों के अलावा उसके लड़ाकू विमान और ड्रोन को भी मार गिराने में सक्षम हैं।
3- ताइवान के पास आधुनिक मिसाइलें और हथियार :
इसके अलावा ताइवान के पास बड़ी संख्या में पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम स्ट्रिंगर और एंटी टैंक जेवलिन मिसाइल भी हैं। ताइवान के पास अमेरिकी हार्पून मिसाइल है, जो चीन के युद्धपोतों पर भारी पड़ सकती हैं। इसके अलावा भी ताइवान के पास अमेरिकी की दी हुई कई अत्याधुनिक मिसाइलें और हथियार हैं।
4- ताइवान को अमेरिका समेत कई देशों का समर्थन :
चीन भले ही ताइवान को अपना हिस्सा बताता है लेकिन ताइवान 1949 से आजाद है। उसका अपना संविधान है, अपनी सेना है। इसके अलावा ताइवान को संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 14 ने मान्यता दे रखी है। ऐसे में ताइवान को और भी कई देशों का समर्थन मिला हुआ है। चीन के लिए ताइवान पर सीधा हमला करना आसान नहीं है।
5- ताइवान की भौगोलिक स्थिति :
चीन ने ताइवान पर हमला किया भी तो उसके लिए इस छोटे से देश से पार पाना इतना आसान नहीं होगा। इसकी वजह ताइवान की भौगोलिक स्थिति है। ताइवान चारों ओर से समुद्र से घिरा है। वहां के पहाड़ और तलदली समुद्री तट बेहद खतरनाक हैं। इस इलाके से चीन के टैंकों का ताइवान में घुस पाना आसान नहीं होगा। ताइवान के लिए उसकी जियोग्राफिकल कंडीशन भी एक प्लस प्वाइंट है।
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