हिंदू धर्म में हर तिथि का एक विशेष महत्व बताया गया है। इन सभी तिथियों में एकादशी तिथि का महत्व सबसे अधिक है क्योंकि इसके स्वामी स्वयं भगवान विष्णु है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2022) का व्रत किया जाता है। इस एकादशी का महत्व साल भर में आने वाली सभी 23 एकादशियों से अधिक माना गया है।
हिंदू धर्म में हर तिथि का अलग महत्व बताया गया है। इन सभी में एकादशी तिथि को श्रेष्ठ कहा गया है क्योंकि इसके स्वामी भगवान विष्णु हैं और इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है साथ ही व्रत भी रखा जाता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2022) कहते हैं। इस बार ये तिथि 10 जून, शुक्रवार को है। हालांकि पंचांग भेद होने के कारण कुछ स्थानों पर 11 जून, शनिवार को भी ये पर्व मनाया जाएगा।
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है और व्रत भी रखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है, उसके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
आज (26 मई, गुरुवार) ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। धर्म ग्रंथों में इसे अपरा और अचला एकादशी (Achala Ekadashi 2022) के नाम से जाना जाता है। ये तिथि बहुत विशेष है।
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अचला (Achala Ekadashi 2022) और अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2022) के नाम से जाना जाता है। इस बार ये एकादशी 26 मई, गुरुवार को है।
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा और अचला एकादशी (Achala Ekadashi 2022) कहते हैं। इस बार ये तिथि 26 मई, गुरुवार को है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है।
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को अचला एकादशी (Achala Ekadashi 2022, Apara Ekadashi 2022) कहते हैं। इसका एक नाम अपरा भी है। इस बार ये एकादशी 26 मई, गुरुवार को है।
पंचांग के अनुसार एक साल में 24 एकादशी होती है और जिस साल में अधिक मास होता है, उसमें 26 एकादशी तिथि होती है। इन सभी एकादशियों का अलग-अलग महत्व बताया गया है।