Vrishabha Sankranti 2023: 15 मई को सूर्य राशि बदलकर मेष से वृषभ में प्रवेश करेगा। सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश करने से ये वृषभ संक्रांति कहलाएगी। धर्म ग्रंथों में इसे पर्व कहा गया है। शुभ फल पाने के लिए इस दिन कुछ खास उपाय करने चाहिए।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं, लेकिन फिर भी ये एक-दूसरे के शत्रु हैं। ज्योतिष में इन दोनों ग्रहों के साथ या आमने-सामने होने से अशुभ योग बनता है जिसका असर देश-दुनिया के साथ-साथ सभी लोगों पर भी होता है।
25 मई, मंगलवार से सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आ चुका है। इस नक्षत्र में ये ग्रह 8 जून तक रहेगा। इस नक्षत्र में राहु पहले से ही स्थित है। सूर्य और राहु एक ही नक्षत्र में होने से सूर्य पर राहु की छाया भी पड़ रही है। जिसका अशुभ असर सभी राशियों पर होगा।
हस्तरेखा के अनुसार हथेली की हर रेखा का अपना एक खास महत्व है। इनमें से कुछ रेखाएं शुभ और तो कुछ अशुभ फल प्रदान करती हैं। कुछ रेखाएं ऐसी भी होती हैं जो अंगुली के नीचे स्थित पर्वत को घेरती हुई दिखाई देती हैं। इन्हें वलय कहा जाता है। आज हम आपको रवि वलय के बारे में बता रहे हैं।
भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मोरयाई छठ का व्रत रखा जाता है। इसे मोर छठ या कुछ स्थानों पर सूर्य षष्ठी व्रत भी कहते हैं। इस बार यह व्रत 4 सितंबर, बुधवार को है।