वैदिक ज्योतिष में अनेक योगों का वर्णन मिलता है, इनमें सात संख्या योग काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। दरअसल यह योग सात प्रकार से बनता है और सभी का अलग-अलग नाम होता है, लेकिन समग्र रूप से इसे सात संख्या योग कहा जाता है।
आज (13 जुलाई, मंगलवार) अंगारक चतुर्थी है। इस दिन भगवान श्रीगणेश और चंद्रमा की पूजा विशेष रूप से की जाती है। अंगारक जन्म कुंडली में बनने वाला एक अशुभ योग है।
जन्म कुंडली में गुरु धर्म, शिक्षा और बुध बुद्धि के देवता माने गए हैं। जिन लोगों की कुंडली में ये दोनों प्रभावी होते हैं, शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें सफलता मिलती है।
आज (11 जुलाई, रविवार) को पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। ज्योतिष में इसे रवि पुष्य योग कहा जाता है। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी होने से ये खरीदारी का महामुहूर्त रहेगा।
कोई भी बिजनेस या जॉब शुरू करने से पहले उसमें सफलता मिलेगी या नहीं, इसका विचार मन में जरूर आता है। कई बार कड़ी मेहनत के बाद भी उचित फल नहीं मिल पाता तो कुछ लोग थोड़े प्रयासों से ही सफल हो जाते हैं, ऐसा ग्रहों की अनुकूल दशा होने पर होता है।
मनुष्य की जन्म कुंडली बहुत रहस्यमयी होती है। इसकी भाषा समझने के लिए कड़ी मेहनत और गहन अध्ययन की आवश्यकता होती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली में 12 भाव या घर होते हैं। इन्हीं घरों में 9 ग्रह अलग-अलग स्थानों पर बैठे होते हैं। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में कोई न कोई घर ऐसा होता ही है, जिसमें कोई ग्रह नहीं होता।
जो भी लोग किराए के मकान में रहते हैं उनका सपना जरूर होता है कि उनका भी एक छोटा सा ही सही मगर अपना एक घर हो। जन्म कुंडली देखकर ये आसानी से जाना जा सकता है कि किस व्यक्ति की किस्मत में स्वयं का मकान है और किसकी नहीं। साथ ही ये भी जान सकते हैं कि किस व्यक्ति का अपने मकान का सपना कब पूरा होगा।
ज्योतिष शास्त्र में गुरुवार को बृहस्पति ग्रह से संबंधित बताया गया है। पीपल, पीला रंग, सोना, हल्दी, चने की दाल, पीले फूल, केसर, गुरु, पिता, वृद्ध पुरोहित, विद्या और पूजा-पाठ यह सब बृहस्पति के प्रतीक माने गए हैं।
किसी भी जन्म कुंडली का विचार करते समय मारक स्थान और मारकेश का विचार करना अत्यंत आवश्यक है। मारक स्थान वह होता है जहां से किसी व्यक्ति की आयु और उसके लिए मारक ग्रह अर्थात् कौन सा ग्रह उसके मृत्यु तुल्य कष्ट या उसकी मृत्यु का कारण बन सकता है, उसका विचार किया जाता है।