आलम यह हो गया था कि घर में कोई खाना बनाने वाला भी नहीं बचा था। हम लोग सभी अलग-अलग कमरे में रहने चले गए, सभी कमरों की खिलड़खियां खुली रखीं, ताकि हवा आ सके। मोबाइल पर सभी आपस में बात और हंसी मजाक करते रहते। हम लोगों को कभी ऐसा नहीं लगा कि हमको कोरोना ने घेर रखा है। कभी किसी ने इस टॉपिक पर बात तक नहीं की। बस चुटकुले, पुस्तकें और फिल्में देखकर पूरा समय खुशी-खुशी कट गया।