वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने लिखा कि कल मैंने कुछ राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों से बात की और उनसे निवेदन किया कि जो लाखों दिहाड़ी मजदूर, कर्मचारी और खेरची विक्रेता अपने गांवों की तरफ भाग रहे हैं, उन्हें वे यात्रा की सुविधा दें। उन्होंने इसकी तुरंत व्यवस्था की। उन्हें किन शब्दों में धन्यवाद दिया जाए ? उन्होंने तालाबंदी को भंग नहीं किया बल्कि उसकी बर्दाश्त को बढ़ाया है। मुझे कई मित्रों ने फोन करके बताया कि उनकी वेबसाइटों और फेसबुक पर 30-30 लाख, 15-15 लाख लोगों ने मेरे कल के लेख को पढ़ा और उसके सुझावों का समर्थन किया।