कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है। इस बार ये पर्व 14 नवंबर, शनिवार को है। इस दिन मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दीपावली पर देवी लक्ष्मी के अलावा देहली विनायक, कलम-दवात, तराजू और बही खातों की पूजा भी की जाती है।
दीपावली पर सुख-समृद्धि के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के लिए देवी लक्ष्मी की अनेक तस्वीरें बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन उनमें से किस तस्वीर की पूजा से क्या फायदा या नुकसान हो सकता है, ये सभी लोग नहीं जानते।
कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 14 नवंबर, शनिवार को है। दीपावली से जुड़ी अनेक परंपराएं हैं। ऐसी ही एक परंपरा है दिवाली पूजन में देवी लक्ष्मी को खील-बताशे का भोग लगाना। दिवाली की इस परंपरा के पीछे व्यवहारिक, दार्शनिक और ज्योतिषीय कारण छिपे हैं।
दिवाली की पूजा में मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही श्रीगणेश और देवी सरस्वती की। अधिकांश तस्वीरों में देवी लक्ष्मी के साथ भगवान श्रीगणेश और देवी सरस्वती भी दिखाई देती हैं। इसके पीछे लाइफ मैनेजमेंट से जुड़े कई खास सूत्र छिपे हैं ।
इस बार 14 नवंबर, शनिवार को दीपावली है। इस दिन मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्र, स्तुति और आरतियों की रचना की गई है।
कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 14 नवंबर, शनिवार को है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, ये दिन लक्ष्मी कृपा पाने के लिए बहुत ही शुभ है, क्योंकि इस दिन किए गए उपाय, टोटके आदि का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
दिवाली (14 नवंबर, शनिवार ) पर माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। दीपावली व माता लक्ष्मी से जुड़ी अनेक मान्यताएं व परंपराएं हमारे देश में प्रचलित हैं। इन मान्यताओं व परंपराओं के पीछे जीवन प्रबंधन के कई सूत्र छिपे होते हैं।
इस बार 30 अक्टूबर, शुक्रवार को शरद पूर्णिमा है। धर्म शास्त्रों में इसे कोजागर पूर्णिमा भी कहा गया है। इस दिन व्रत रख माता लक्ष्मी का पूजन करने का विधान है ।
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार को विशेष पूजा करनी चाहिए। गुरुवार का कारक ग्रह गुरु है। ये ग्रह भाग्य का कारक है और जिन लोगों की कुंडली में गुरु अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है। भगवान विष्णु के साथ महालक्ष्मी की भी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार को विशेष पूजा करनी चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार गुरुवार का कारक ग्रह गुरु है। ये ग्रह भाग्य का कारक है और जिन लोगों की कुंडली में गुरु अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है।