वैसे तो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्रों का जाप किया जाता है, लेकिन सभी में महामृत्युजंय मंत्र का विशेष महत्व है।
सावन में ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का विशेष महत्व है। 12 प्रमुख ज्योतिर्लिगों में भीमाशंकर का स्थान छठा है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे से लगभग 110 किमी दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है।
इस बार 6 जुलाई, सोमवार से भगवान शिव का प्रिय मास सावन शुरू हो रहा है। इस पूरे महीने में शिव पूजा का विशेष महत्व है।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्रों की रचना की गई है, लेकिन कुछ मंत्र ऐसे हैं, जिनके जाप से महादेव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्त की हर इच्छा पूरी देते हैं।
महाभारत में पांडवों के जन्म से लेकर मृत्यु तक का वर्णन मिलता है, लेकिन कुछ ग्रंथों में पांडवों से संबंधित अन्य कहानियां भी मिलती है, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं।
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अचला एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 18 मई, सोमवार को है। एकादशी पर विष्णुजी के लिए व्रत-उपवास किए जाते हैं और सोमवार के स्वामी शिवजी हैं और इस दिन का कारक ग्रह चंद्र है।
प्रत्येक महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार 5 मई, मंगलवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है।
प्रत्येक महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार 20 अप्रैल को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है।
5 अप्रैल, को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है।
इस बार धुरेड़ी (होली) 10 मार्च, मंगलवार को होली खेली जाएगी। इसी दिन बसंतोत्सव भी है। होली के बाद से ही बसंत ऋतु का प्रभाव शुरू हो जाता है।