आज Shri Krishna Janmashtami के मौके पर मंदिरों खासकर; कृष्ण मंदिरों में विशेष आरती-पूजा हो रही है। Afghanistan संकट और कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सुरक्षा और सतर्कता के विशेष इंतजामों पर जोर दिया गया है।
भगवान श्रीकृष्ण का जीवन हम सभी के लिए एक आदर्श है। श्रीकृष्ण में ऐसे अनेक गुण थे, जो उन्हें परफेक्ट बनाते थे। दोस्ती निभाना हो या दांपत्य जीवन में खुशहाली, जीवन के हर क्षेत्र में उन्होंने सामंजस्य बनाए रखा था।
भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) के स्वरूप से कई चीजें जुड़ी हुई हैं, उन्हीं में से एक है मोरपंख। भगवान श्रीकृष्ण को मोरपंख का मुकुट ही अर्पित किया जाता है। दरअसल, मोरपंख सकारात्मकता का प्रतीक है, जिसका शरीर व स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
30 अगस्त, सोमवार को जन्माष्टमी (Janmashtami 2021) है। इस मौके पर देश के सभी श्रीकृष्ण मंदिरों की भक्तों की भीड़ उमड़ती है। भारत में भगवान श्रीकृष्ण के अनेक प्रसिद्ध मंदिर है, उन्हीं में से एक है कर्नाटक (Karnataka) के उडुपी (Udupi) का कृष्ण मंदिर।
इस बार 30 अगस्त, सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2021) का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन कृष्ण मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ती है। भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) सोलह कलाओं से युक्त भगवान विष्णु के संपूर्ण अवतार हैं। इस दिन कृष्ण मंत्रों का जाप करना बहुत ही फायदेमंद रहता है। इन मंत्रों को सिद्ध करके समृद्धिशाली बन सकते हैं।
द्वारकाधीश मंदिर लगभग 2200 साल पुराना है। इसका निर्माण वज्रनाभ ने किया था। मंदिर में भगवान कृष्ण के साथ-साथ सुभद्रा, बलराम, रेवती, वासुदेव, रुक्मिणी समेत कई देवी-देवताओं का मंदिर है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु जगत के पालनकर्ता हैं और भगवान श्रीकृष्ण उन्हीं के अवतार हैं। इनकी पूजा आराधना करने से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं और जीवन में प्रेम व खुशियां बनी रहती हैं।
28 मार्च, रविवार को फाल्गुन महीने की पूर्णिमा है। इसे वसंत पूर्णिमा भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि मैं ऋतुओं में वसंत हूं। इसलिए इस पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा करने की परंपरा है।
महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से कई सेनापति बनाए गए, इनमें भीष्म, गुरु द्रोणाचार्य और कर्ण प्रमुख थे, लेकिन पांडवों की ओर से सिर्फ एक ही सेनापति युद्ध के अंत तक रहा था। ये थे पांचाल देश के युवराज धृष्टद्युम्न।
धर्म ग्रंथों में हर महीने का अलग महत्व बताया गया है। महीनों के अनुसार ही कुछ नियम भी बनाए गए हैं। इन नियमों का पालन करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।