प्राचीन भारत में अनेक विद्वान हुए, उनमें से भर्तृहरि भी एक थे। ये किसी समय उज्जियनी यानी वर्तमान उज्जैन के राजा था, लेकिन इनके जीवन में एक ऐसी घटना घटी, जिसके बाद इन्होंने राज-पाठ छोड़ दिया और वैराग्य को अपना लिया। इन्होंने कठिन तपस्या कर कई सिद्धियां प्राप्त की।