सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि विधायक के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। सेंगर के खिलाफ आइपीसी की धारा 120बी, 363, 366, 109, 376 (आई) और पॉक्सो एक्ट 3और4 के तहत आरोप तय किए गए हैं।
अयोध्या जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मध्यस्थता समिति इस मामले में अंतिम समझौता नहीं करा सकी। सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता समिति बनाई थी। इस समिति ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सील बंद लिफाफे में अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता समिति बनाई थी। समिति में पूर्व जस्टिस एफएम कलिफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, सीनियर वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुरुवार को उन्नाव दुष्कर्म मामले से संबंधित सभी केस उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर कर दिए। बेंच ने कहा, अदालत 45 दिन में मामले की सुनवाई पूरी करेगी। चीफ जस्टिस ने पीड़िता, उसके परिवार और वकील को तुरंत सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उप्र सरकार से पीड़िता को 25 लाख मुआवजा देने को भी कहा।
अयोध्या जमीन विवाद को लेकर गठित किये गए मध्यस्थता पैनल को सुप्रीम कोर्ट को अंतिम लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। इससे पहले सर्वोच्च न्यायलय की पांच जजों की पैनल ने रिपोर्ट मांगी थी। पैनल की आखिरी बैठक दिल्ली में हुई।
नई दिल्ली. उन्नाव रेप केस में पीड़िता की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई को लिखा लेटर पहुंचा ही नहीं। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई ने कहा- न्यूजपेपर पढ़ने के बाद पता चलता है, कि पीड़िता की मां ने उन्हें लेटर लिखा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट मंगवाई है। मामलें में सुप्रीम कोर्ट सुनावई करेगा।
बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को ही कर्नाटक के सीएम का पद ग्रहण किया और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मुसीबतें बढ़ा दी।
6 महीने में 24,212 बाल दुष्कर्म के मामले सामने आए।
आयोध्या जमीन विवाद पर उच्चतम न्यायालय सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आया है। मध्यस्थता कमेटी की रिपोर्ट देखने के बाद न्यायालय ने मध्यस्थता कमेटी को 31 जुलाई तक का समय दिया है।
कोर्ट के फैसले के बाद स्पीकर रमेश कुमार की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि उनके फैसले से किसी भी तरह का संविधान और कोर्ट के नियमों का उल्लंघन नहीं होगा।