सार

भारत के इतिहास में कई विद्वानों का वर्णन मिलता है। आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) भी उनमें से एक हैं। आचार्य चाणक्य ने एक साधारण शिक्षक होते हुए भी देश और समाज को एक नई दिशा दी और खंड-खंड में बंटे हुए राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोकर अखंड भारत का सपना साकार किया।

उज्जैन. राष्ट्र की बागडोर संभालने के लिए आचार्य चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य नामक एक साधारण युवक को चुना। आचार्य चाणक्य ने कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना भी की। नीति शास्त्र भी इनमें से एक है। इस ग्रंथ में बताए गए लाइफ मैनेजमेंट सूत्र आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। आचार्य चाणक्य ने अपने एक सूत्र में महिलाओं के उन गुणों के बारे में बताया है जो उन्हें दूसरों से श्रेष्ठ बनाते हैं। आगे जानिए उन गुणों के बारे में…

विनम्रता का गुण
आचार्य चाणक्य का मानना था कि जिन महिलाओं में विनम्रता यानी दया का गुण होता है वो परिवार के साथ-साथ समाज को भी नई दिशा प्रदान करती हैं और अपने इसी गुण के कारण वह दूसरों के श्रेष्ठ भी साबित होती हैं। बिना दया के स्त्री ऐसी है जैसे बिना सुंगध का फूल। दया का गुण महिलाओं में होना बहुत जरूरी है क्योंकि इसी से उनका स्त्रीत्व संपूर्ण होता है। 

धर्म को जानने और मानने वाली
कई ग्रंथों में महिलाओं से जुड़े धर्म के बारे में बताया गया है यानी महिलाओं को किस तरह का आचरण करना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। कुछ महिलाएं इन नियमों को बारे में जानती तो हैं, लेकिन मानती नहीं है। अगर कोई महिला इन नियमों के बारे में जानती भी हो और उसे मानती भी हो तो वह दूसरों की अपेक्षा श्रेष्ठ होती हैं। ऐसी महिलाएं ही समाज को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं।

धन की बचत करने वाली
धन की बचत करना अच्छी बात है ये बात तो सभी महिलाएं जानती हैं, लेकिन सभी ऐसा नहीं करती। कुछ महिलाएं फिजूलखर्ची में माहिर होती हैं। ऐसी महिलाएं कभी न कभी पैसों की तंगी में जरूर फंसती हैं। जबकि जो महिलाएं धन की बचत करती हैं वे सदैव अपने परिवार की बुरे वक्त में साथ खड़ी होती हैं। मुश्किल समय में धन ही सच्चा मित्र होता है। इसलिए धन की बचत हर महिला को करनी चाहिए। जो महिलाएं ये काम करती हैं वे दूसरों से श्रेष्ठ साबित होती हैं।

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