सार

भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है यानी हर कुछ दूरी कोई न कोई मंदिर जरूर मिल जाता है। इनमें से कुछ मंदिर बहुत ही विशेष होते हैं। हमारे देश में देवी लक्ष्मी के अनेक मंदिर है पर उस सभी में चेन्नई के आडयार समुद्र तट पर बना अष्टलक्ष्मी मंदिर बहुत ही खास है। वो इसलिए क्योंकि यहां देवी लक्ष्मी के एक या 2 नहीं पूरे आठ स्वरूपों की प्रतिमा स्थापित हैं।
 

उज्जैन. लक्ष्मीजी के इन स्वरूपों की पूजा का फल इनके नाम के अनुसार ही मिलता है। ये हैं देवी लक्ष्मी के 8 स्वरूप, जिनकी पूजा की जाती है- वीर लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, आदि लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, धन लक्ष्मी। इस मंदिर की आकृति और परंपराएं भी इसे अलग बनाती हैं। दीपावली (Diwali 2021) के मौके पर जानिए इस मंदिर के बारे में खास बातें…

ऊं के आकार में बना है ये देवी मंदिर

चेन्नई में स्थित ॐ के आकार में बना माता अष्टलक्ष्मी मंदिर देवी लक्ष्मी के सभी स्वरूपों को समर्पित है। लोक मान्यताओं के अनुसार, यहां अष्टलक्ष्मी के दर्शन करने से श्रद्धालुओं को धन, विद्या, वैभव, शक्ति और सुख की प्राप्ति होती है। दक्षिण भारत के अन्य मंदिरों की तरह ही, यह मंदिर भी विशाल गुंबद वाला है।

गर्भगृह के ऊपर है सोने का कलश
यह मंदिर 65 फीट लंबा और 45 फीट चौड़ा है। यह तीन मंजिला मंदिर है, जिसके चारों ओर विशाल आंगन हैं। मंदिर की वास्तुकला उथिरामेरुर में सुंधराराज पेरुमल मंदिर से ली गई है। 2012 में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था। मंदिर में कुल 32 कलशों को नवनिर्मित किया गया था, जिसमें गर्भगृह के ऊपर 5.5 फीट ऊंचा गोल्ड प्लेटेड कलश भी शामिल है।

चढ़ाते हैं कमल का फूल
- इस मंदिर में पूजन की शुरुआत दूसरे तल से होती है, जहां देवी महालक्ष्मी और महाविष्णु की प्रतिमा रखी गई हैं। तीसरे तल पर शांता लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी और गजालक्ष्मी विराजमान हैं।
- चौथे तल पर सिर्फ धनलक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा पहले तल पर आदिलक्ष्मी, धैर्यलक्ष्मी और ध्यान लक्ष्मी का तीर्थस्थल है।
- सभी प्रतिमाएं घड़ी की सुईयों की दिशा में आगे बढ़ने पर दिखाई देती हैं। अंत में नवम मंदिर है, जो भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है।
- दाम्पत्य जीवन का सुख मांगने वाले भक्त, इसके दर्शन किए बिना नहीं जाते। यहां कमल के फूल चढ़ाने की पंरपरा है।

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