सार

आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। इस बार यह तिथि 17 जून, बुधवार को है। इस व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।

उज्जैन. पद्म पुराण के अनुसार योगिनी एकादशी समस्त पापों का नाश करने वाली है। यह देह की समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट कर सुंदर रूप, गुण और यश देने वाली है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत का फल 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के पुण्य के समान है।

भगवान कृष्ण ने सुनाई थी कथा
इसके संदर्भ में भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को एक कथा सुनाई थी, जिसमें राजा कुबेर के श्राप से कोढ़ी होकर हेममाली नामक यक्ष मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा। ऋषि ने उन्हें योगिनी एकादशी व्रत करने की सलाह दी। यक्ष ने ऋषि की बात मान कर व्रत किया और दिव्य शरीर धारण कर स्वर्गलोक चला गया।

सादा भोजन करें और कथा सुनें
व्रती (व्रत करने वाला) को दशमी तिथि की रात्रि से ही तामसिक भोजन का त्याग कर सादा भोजन ग्रहण करना चाहिए। अगले दिन प्रातःकाल उठकर नित्यकर्म के बाद स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा रख उनकी पूजा करें। ध्यान रहे कि इस दिन में योगिनी एकादशी की कथा भी जरूर सुननी चाहिए। इस दिन दान कर्म करना भी बहुत कल्याणकारी रहता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ पीपल के वृक्ष की पूजा का भी विधान है।

योगिनी एकादशी व्रत के लाभ
योगिनी एकादशी का व्रत करने से सारे पाप मिट जाते हैं और जीवन में समृद्धि और आनन्द की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी का व्रत करने से स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। यह माना जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करना अठ्यासी हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर है।