सार

अलग-अलग धर्मों में नए साल की शुरूआत को लेकर कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। हिंदू धर्म में नए साल (Hindu Nav Varsh 2022) का आरंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से माना जाता है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत भी होती है।

उज्जैन. इस बार हिंदू नववर्ष का आरंभ 2 अप्रैल, शनिवार से हो रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार प्रत्येक हिंदू वर्ष का एक मंत्री मंडल होता है, जिसमें राजा, मंत्री आदि पद होते हैं। उसी के अनुसार ये तय किया जाता है कि ये साल कैसा रहेगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना आरंभ की थी। हिंदू नववर्ष से जुड़ी मान्यताएं और पंरपराएं इसे और भी खास बनाती हैं। आज हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

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हिंदू नववर्ष का आरंभ महीने के 15 दिन बाद क्यों?
फाल्गुन पूर्णिमा यानी होलिका दहन के दूसरे दिन से चैत्र मास शुरू हो जाता है, लेकिन नववर्ष का आरंभ इसके 15 दिन बाद यानी चैत्र शुक्ल पक्ष से माना जाता है। इसके पीछे हमारे पूर्वजों की बहुत दार्शनिक सोच है। लेकिन इसे समझना इतना मुश्किल भी नहीं है। जानिए नववर्ष से जुड़ी इस मान्यता की खास बातें...

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- वास्तव में चैत्र मास होली के दूसरे ही दिन से शुरू हो जाता है, लेकिन वो समय कृष्ण पक्ष का होता है, मतलब पूर्णिमा से अमावस्या तक का, इन 15 दिनों में चंद्रमा लगातार घटता है और अंधेरा बढ़ता जाता है।
- जबकि सनातन धर्म अंधेरे से उजाले की ओर जाने की मान्यता है। इस कारण चैत्र मास लगने के बाद भी शुरू के 15 दिन (पूर्णिमा से अमावस्या तक) छोड़ दिए जाते हैं। अमावस्या के बाद जब शुक्ल पक्ष लगता है तो शुक्ल प्रतिपदा से नया साल मनाया जाता है, जो अंधेरे से उजाले की ओर जाने का संदेश देता है।
- अमावस्या के अगले दिन से शुक्ल पक्ष शुरू होता है, जिसमें हर दिन चंद्रमा बढ़ता है, उजाला बढ़ता है। इसलिए भारतीय विद्वानों ने इसी तिथि को हिंदू नववर्ष आरंभ करने के लिए चुना। जिसका अर्थ है कि जीवन का आरंभ अंधेरे से उजाले की ओर होना चाहिए। ताकि उसकी सार्थकता बनी रहे।

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