सार
कुछ लोग बिना सोचे-समझे किसी के साथ भी गलत व्यवहार कर बैठते हैं। वे ये भूल जाते हैं कि इसका असर उनके आने वाले भविष्य पर भी पड़ सकता है क्योंकि जो आप दूसरों के साथ करते हैं, वैसा ही व्यवहार आपके साथ भी हो सकता है।
उज्जैन. हमारे बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि जब भी हम किसी का बुरा सोचते हैं तो हमारे साथ भी वैसा ही होता है। इसके बाद भी लोग दूसरों का अहित करने से चूकते नहीं है। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि दूसरों का बुरा करने जाएंगे तो हमारा भी बुरा ही होगा।
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एक औरत रोज अपने परिवार के सदस्यों के लिए भोजन पकाते समय एक रोटी अतिरिक्त पकाती थी और उसे वो वहां से गुजरने वाले किसी भूखे के लिए खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था।
एक कुबड़ा व्यक्ति रोज उस रोटी को ले जाता और बड़बड़ाता जाता “जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।”
इस तरह काफी दिन गुजरते गए और ये सिलसिला चलता रहा। वो कुबड़ा रोज रोटी लेके जाता रहा और यही बोलता “जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।”
वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और सोचने लगी कि “कितना अजीब आदमी है, एक शब्द धन्यवाद का तो देता नहीं है और न जाने क्या क्या बड़बड़ाता रहता है। मतलब क्या है इसका ?
एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और सोचा आज इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी। उसने उस रोटी में जहर मिला दिया जो वो रोज उसके लिए बनाती थी और जैसे ही उसने रोटी खिड़की पर रखने जा रही थी अचानक उसे अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने तुरंत उस रोटी को चूल्हे में जला दिया और एक ताज़ा रोटी बनाकर खिड़की के सहारे रख दी।
हर रोज कि तरह वह कुबड़ा आया और रोटी लेके “जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा ” बड़बड़ाता हुआ चला गया।
शाम को उस महिला के दरवाजे पर दस्तक हुई। जब उसने दरवाजा खोलकर देखा तो सामने उसका बेटा, जो शहर में रहता था, बहुत ही दयनीय हालत में खड़ा था। उसने मां को बताया कि कैसे वो रास्ता भटक गया था और आज जब भूख से मरने ही वाला था कि एक कुबड़े ने उसे रोटी खिलाई।
ये बात सुनकर माँ का चेहरा पीला पड़ गया और उसके दिमाग में वह बात घूमने लगी कि कैसे उसने सुबह रोटी में जहर मिलाया था? अगर वो रोटी मेरा बेटा खा लेता तो क्या होता। और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट हो चूका था
“जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।”
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निष्कर्ष ये है कि…
कभी भी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए और न ही सोचना चाहिए। ऐसे करने से हमारे भविष्य के लिए भी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। हम जो दूसरों के साथ करेंगे, वैसा ही हमारे साथ भी हो सकता है। अगर कोई हमारे साथ बुरा करे तो भी हमें उसके प्रति गलत भावना नहीं रखनी चाहिए। उसकी करनी का फल उसे अवश्य मिलेगा।
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