सार
कई लोग अपनी लाइफ में हर वो चीज पा लेते हैं जिसकी वो चाहत रखते हैं, लेकिन इसके बाद भी उनके मन में उथल-पुथल मची रहती है, वे तनाव में जीते हैं और खुशियां एंजाय नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति बहुत ही विकट होती है।
उज्जैन. पैसों और ऐशो-आराम होने के बाद ही अगर आप खुश नहीं हैं तो आपकी लाइफ स्टाइल में जरूर कुछ कमी है। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि लाइफ की बड़ी-बड़ी जरूरतें पूरा करने के साथ-साथ छोटी-छोटी खुशियां भी एंजाय करते रहें।
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जब कॉलेज दोस्त गए प्रोफेसर से मिलने
कॉलेज के दोस्तों का एक ग्रुप काफी सालों बाद मिला। उनमें से लगभग सभी अच्छी जगह जॉब कर रहे थे या सफल बिजनेस मैन थे। यानी हर कोई अपनी लाइफ में सैटल हो चुका था। काफी देर तक इधर-उधर की बातें करने के बाद सभी को अपने प्रोफेसर की याद आई।
उन्होंने सोचा इस मौके पर क्यों न प्रोफेसर से भी मिल लिया जाए। सभी लोग प्रोफेसर के घर पहुंच गए। अपने पुराने स्टूडेंट्स को देखकर प्रोफेसर भी बहुत खुश हुए और उन्होंने सभी की स्वागत किया।
प्रोफेसर साहब ने सभी से उनकी लाइफ के बारे में पूछा। धीरे-धीरे सभी ने ये कबूल किया कि उनकी लाइफ में तनाव बढ़ता जा रहा है। इस बात पर भी एकमत थे। सभी ने माना वे आर्थिक रूप से भले ही मजबूत हो गए हों लेकिन लाइफ में अब वो पहले वाला मजा नहीं रहा।
प्रोफेसर उनकी बात बड़े गौर से सुन रहे थे। वे उठे और किचन में चले गए। थोड़ी देर बाद वे लौटे और उन्होंने कहा कि “स्टूडेंट्स, मैंने आप सभी के लिए कॉफी तैयार की गई, लेकिन आपको किचन में जाकर कप खुद ही लेकर आना होंगे।”
सभी स्टूडेंट्स उठे और किचन में गए। वहां कई तरह के कप रखे थे। सभी ने अच्छे और मंहगे दिखने वाले कप उठाए और बाहर आ गए।
जब सभी बाहर आ गए तो प्रोफेसर ने कहा कि “आप सभी ने सुंदर और मंहगे दिखने वाले कप चुने हैं जबकि वहां साधारण दिखने वाले कप भी थे। आपका ध्यान उनकी ओर न जाकर इन पर ही गया।”
सभी प्रोफेसर की बातें ध्यान से सुनने लगे। प्रोफेसर ने कहा कि “ सभी लोग अपनी लाइफ के लिए बेहतर चीजें चुनना ही पसंद करते हैं, लेकिन ये चीजें कई बार परेशानी और तनाव का कारण भी बन सकती हैं।”
“जैसे कप की क्वालिटी से कॉफी के स्वाद में कोई अंतर नहीं आने वाला। ये तो सिर्फ एक माध्यम है चाय पीने का। असल में आपको जो चाहिए वो कॉफी है न कि कप। हमारी लाइफ भी कॉफी की तरह है और हमारी नौकरी, पोजीशन व पैसा कप की तरह है।”
“हमारे पास कौन सा कप है ये माएने नहीं रखता, इसलिए कॉफी की चिंता करिए कप की नहीं। दुनिए में खुशहाल लोग वो नहीं होते जिनके पास सब कुछ अच्छा होता है, बल्कि वे होते हैं जो उसका सबसे अच्छे से इस्तेमाल करते हैं।”
निष्कर्ष ये है कि…
कई बार हम बेहतर चीजें पाने की चाहत में छोटी-छोटी खुशियां भूल जाते हैं या उन्हें भूल जाते हैं। जबकि ये छोटी-छोटी खुशियां ही हमारी जिदंगी होती हैं। बेहतर पाने की कोशिश में लाइफ को एंजाय करना न भूलें।
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