सार
हर साल की तरह इस साल भी 13 जनवरी को लोहड़ी (Lohri 2022) का पर्व मनाया जाएगा। इस उत्सव में आग जलाकर उसके आस-पास नाचते हैं, गाते हैं और अग्नि में मूंगफली, तिल और धान का लावा जिले खील भी कहते हैं, आदि चीजें अर्पित करते हैं।
उज्जैन. यब बात काफी कम लोगों को पता है कि खील सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है। खील धान यानी चावल से तैयार होती है जिस वजह से काफी हेल्दी होती है। इसे खाने से आप कई बड़ी बीमारियों से भी बच सकते हैं। साथ ही खील का ज्योतिषीय महत्व भी है। इसे अग्नि में समर्पित करने से कई तरह के फायदे हमारी लाइफ में हो सकते हैं। आगे जानिए धान का लावा यानी खील से जुड़ी ये खास बातें…
खील का ज्योतिषीय महत्व
- खील यानी धान मूलत: धान (चावल) का ही एक रूप है। यह चावल से बनती है और उत्तर भारत का प्रमुख अन्न भी है।
- खील का ज्योतिषीय महत्व भी होता है। शुक्र ग्रह का प्रमुख धान्य धान ही होता है। शुक्र को प्रसन्न करने के लिए अग्नि में खील अर्पित किया जाता है।
- जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति शुक्र ग्रह से होती है। ऐसा माना जाता है कि लोहड़ी पर अग्नि में खील अर्पित करने से शुक्र ग्रह से संबंधित शुभ फल हमें प्राप्त होंगे।
- शुक्र ग्रह से शुभ फल पाने से धन-धान्य के साथ-साथ दांपत्य जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। इसलिए लोहड़ी पर अग्नि में खील अर्पित की जाती है।
खील खाने के फायदे
- लोहड़ी पर खील खाई भी जाती है। इसके लड्डू भी बनाए जाते हैं। खील में फायबर की मात्रा अधिक होती है जो आपके मोटापे को कम करने में फायदेमंद साबित होगा। इसके अलावा खील आपके कब्ज की समस्या भी ठीक करता है।
- खील खाना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। लावा को आप ब्रेकफास्ट से लेकर स्नैक्स की तरह यूज कर सकते हैं। इससे पाचन शक्ति ठीक रहती है।
- खील में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भरपूर होती है जो आपको फिजिकली काफी स्ट्रान्ग बना देता है। वहीं यह बढ़ते बच्चों के लिए भी फायदेमंद होता है।
- खील में फाइबर्स के साथ इसमें रेशे, फॉस्फोरस और क्षार (एल्कलाइंस) काफी मात्रा में पाए जाते हैं जो आपके किडनी की समस्या को दूर करते हैं।
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