सार

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि को भगवान चित्रगुप्त (Lord Chitragupta) की पूजा करने का विधान है। इस बार ये तिथि 20 मार्च, रविवार को है। भगवान चित्रगुप्त यमराज के सहायक हैं और मनुष्यों के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं। ये कायस्थ समाज के आराध्य देवता भी हैं।

उज्जैन. कायस्थ समाज द्वारा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि (20 मार्च, रविवार) को विधि-विधान से भगवान चित्रगुप्त (Chitragupta Puja 2022) की पूजा की जाती है और साथ ही पेन, बहीखाता और दवात आदि चीजों की भी। वैसे तो हमारे देश में भगवान चित्रगुप्त के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इनमें से कुछ बहुत प्राचीन हैं। ऐसा ही एक मंदिर उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में भी है। मान्यता है इस मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान विष्णु ने की थी। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

ये भी पढ़ें- मनुष्यों के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं भगवान चित्रगुप्त, 20 मार्च को इस विधि से करें इनकी पूजा

इसलिए कहते हैं श्रीधर्महरि चित्रगुप्त मंदिर (Sridharmahari Chitragupta Temple)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वंय भगवान विष्णु ने इस मंदिर की स्थापना की थी और धर्मराज को दिये गए वरदान के फलस्वरुप ही धर्मराज के साथ इनका नाम जोड़कर इस मंदिर को श्रीधर्म-हरि मंदिर का नाम दिया है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि विवाह के बाद जनकपुर से वापिस आने पर श्रीराम-सीता ने सबसे पहले धर्महरिजी के ही दर्शन किये थे। साथ ही यहां ये भी माना जाता है कि अयोध्या आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को श्रीधर्महरिजी के दर्शन जरूर करना चाहिये वरना उन्हें इस तीर्थ यात्रा का पुण्यफल प्राप्त नहीं होता।

ये भी पढ़ें- 1 हजार साल पुराना है कर्नाटक का श्रीचेन्नाकेशव मंदिर, हजारों कारीगरों ने 103 साल में बनाया इसे

जब भगवान श्रीराम से नाराज़ हो गए भगवान चित्रगुप्त 
एक कथा के अनुसार, जब भगवान् राम की राजतिलक होने जा रहा था, तो सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया। राजतिलक समारोह में सभी देवता आए लेकिन चित्रगुप्त नहीं दिखे तो श्रीराम ने इसका कारण पूछा। पता चला कि गुरु वशिष्ठ के शिष्यों ने चित्रगुप्त महाराज को आमंत्रित ही नहीं किया। नाराज चित्रगुप्त ने स्वर्ग-नरक के सभी काम रोक दिए, जिससे संसार में अव्यवस्था फैल गई। तब गुरु वशिष्ठ ने भगवान श्रीराम से अयोध्या में सरयू नदी के किनारे स्थित चित्रगुप्त मंदिर में पूजा करने को कहा और बताया कि इस मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान विष्णु ने की है। भगवान श्रीराम के द्वारा पूजा करने पर चित्रगुप्त महाराज दोबारा अपने कार्य करने लगे। मान्यता ये भी है कि अयोध्या आकर यदि भगवान चित्रगुप्त के दर्शन न किए जाएं तो तीर्थ यात्रा का पूरा फल नहीं मिल पाता।

 

ये भी पढ़ें ...

शकुनि के 3 बेटों ने भी युद्ध में दिया था कौरवों का साथ, इनमें से 2 मारे गए थे, तीसरा बना गांधार का राजा


काशी में जलती चिताओं के बीच मुर्दों की राख से खेली गई होली, इस परंपरा में छिपा है गहरा ‘रहस्य’?

23 फरवरी को अस्त हुआ था गुरु ग्रह, अब होने वाला है उदय, इन 4 राशि वालों को मिलेगा किस्मत का साथ

सूर्य पर पड़ रही है शनि की टेढ़ी नजर, अशुभ होता है ऐसा योग, 14 अप्रैल तक इन 4 राशि वालों को रहना होगा बचकर

डायबिटिज या नींद न आने से हैं परेशान तो ये ग्रह हो सकता है कारण, इन उपायों से दूर हो सकती है आपकी परेशानी