सार

शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini) की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 8 अक्टूबर, शुक्रवार को है। देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ज्योर्तिमय है।

उज्जैन. देवी ब्रह्मचारिणी ये मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति हैं। तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा इनके अन्य नाम हैं। इनकी पूजा करने से सभी काम पूरे होते हैं, रुकावटें दूर हो जाती हैं और विजय की प्राप्ति होती है। इसके अलावा हर तरह की परेशानियां भी खत्म होती हैं। देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है।

8 अक्टूबर के शुभ मुहूर्त (चौघड़िए के अनुसार)
सुबह 6 से 7.30 तक- चर
सुबह 7.30 से 9 बजे तक- लाभ
सुबह 9 से 10.30- अमृत
दोपहर 12 से 1.30 तक- शुभ
शाम 4.30 से 6 बजे तक- चर

माता का स्वरूप
देवी ने शिवजी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों सालों तक बेल-पत्र और फिर निर्जल और निराहार रहकर तपस्या की। जिसके कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini) कहा गया। इनके दाहिने हाथ मे जप की माला होती है और बांए हाथ मे कमंडल रहता है। देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप है। ये देवी भगवती दुर्गा, शिवस्वरूपा, गणेशजननी, नारायनी, विष्णुमाया और पूर्ण ब्रह्मस्वरूपिणी के नाम से प्रसिद्ध है।

ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini) देवी की पूजा विधि
- देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें।
- इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिंदूर, अर्पित करें।
- देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं। इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं और इन मंत्रों से प्रार्थना करें।

1. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

2. दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

इसके बाद देवी मां को प्रसाद चढ़ाएं और आचमन करवाएं। प्रसाद के बाद पान सुपारी भेंट करें और प्रदक्षिणा करें यानी 3 बार अपनी ही जगह खड़े होकर घूमें। प्रदक्षिणा के बाद घी व कपूर मिलाकर देवी की आरती करें। इन सबके बाद क्षमा प्रार्थना करें और प्रसाद बांट दें।

ये उपाय करें
नवरात्रि (Sharadiya Navratri 2021) के दूसरे दिन देवी को ईख (गन्ना) का भोग लगाएं। ईख न हो तो उससे बनने वाले पदार्थों जैसे गुड़ या शक्कर का भोग लगा सकते हैं। इन चीजों का दान भी करना चाहिए।

ब्रह्माचारिणी (Goddess Brahmacharini) देवी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता। जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए। कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर। जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी।

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