सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) आजअपने संसदीय क्षेत्र में काशी विश्वनाथ धाम कारीडोर (Kashi Vishwanath corridor) का लोकापर्ण करेंगे। काशी का इतिहास काफी पुराना है। काशी का नाम भारत के 7 सबसे प्रमुख पवित्र नगरों में लिया जाता है। इससे संबंधित कई श्लोक भी उपलब्ध हैं।
उज्जैन. काशी को मंदिरों का शहर कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। पुराणों में इस नगर और यहां के कई मंदिरों का वर्णन मिलता है, जिसमें सबसे प्रमुख बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग है। इसके अलावा भी यहां कई ऐसे मंदिर हैं जो लोगों की आस्था का केंद्र है और जिनसे कई मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के अलावा काशी में और कौन-से प्रमुख मंदिर हैं। आज हम आपको बता रहे हैं…
अन्नपूर्णा मंदिर
बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर माता अन्नपूर्णा का मंदिर है कहा जाता है कि देवी अन्नपूर्णा ने स्वयं भगवान शिव को खाना खिलाया था। इस मंदिर की दीवाल पर चित्र बने हुए हैं। एक चित्र में देवी कलछी पकड़ी हुई हैं। अन्नकूट महोत्सव पर मां अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा का दर्शन भक्तों को करवाया जाता है। अन्नपूर्णा मंदिर में आदि शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्तोत्र रचना कर ज्ञान वैराग्य प्राप्ति की कामना की थी।
कालभैरव मंदिर
काशी का काल भैरव मन्दिर वाराणसी कैंट से लगभग 3 किमी पर शहर के उत्तरी भाग में स्थित है। यह मन्दिर काशीखण्ड में उल्लिखित पुरातन मन्दिरों में से एक है। इस मन्दिर की पौराणिक मान्यता यह है, कि बाबा विश्वनाथ ने काल भैरव जी को काशी का क्षेत्रपाल नियुक्त किया था। काल भैरव जी को काशीवासियो के दंड देने का अधिकार है। यहाँ बाबा को प्रसाद में बड़ा और शराब विशेष रूप से चढ़ाई जाती है। काशी में ही कालभैरव को ब्रह्महत्या के पास से मुक्ति मिली थी।
संकट मोचन हनुमान
ये मंदिर काशी के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की स्थापना बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक मदन मोहन मालवीय ने सन 1900 में की थी। भगवान हनुमान की मूर्ति की विशेषता यह है कि मूर्ति मिट्टी की बनी है। संकट मोचन महराज कि मूर्ति के हृदय के ठीक सीध में श्री राम लला की मूर्ति विद्यमान है, ऐसा प्रतीत होता है संकट मोचन महराज के हृदय में श्री राम सीता जी विराज मान है। मंदिर के प्रांगण में एक अति प्राचीन कुआं है, जो संत तुलसीदास जी के समय का कहा जाता है।
दुर्गा मंदिर
ये मंदिर भी काशी के पुरातन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का उल्लॆख काशी खंड में भी मिलता है। यह मंदिर वाराणसी कैंट से लगभग 5 किमी की दूरी पर है। लाल पत्थरों से बने अति भव्य इस मंदिर के एक तरफ दुर्गा कुंड है। इस मंदिर में माँ दुर्गा यंत्र रूप में विराजमान हैं। कुछ लोग यहाँ तंत्र पूजा भी करते हैं। एक कथा के अनुसार माँ दुर्गा ने दैत्यों का संहार कर यहाँ आराम किया था। कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण 18 वी शताब्दी में बंगाल की रानी भवानी ने करवाया था कहा जाता है।
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