सार

वैशाख महीने की पहली एकादशी 7 मई, शुक्रवार को है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इस एकादशी व्रत के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया था।

उज्जैन. ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो उपवास रखते हैं, उन्हें 10 हजार वर्षों की तपस्या के बराबर फल प्राप्त होता है व उनके सारे पापों का नाश हो जाता है।

 इस व्रत की विधि इस प्रकार है-
- वरुथिनी एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद शुद्ध होकर संयमपूर्वक उपवास करना चाहिए। रात्रि जागरण करते हुए भगवान मधुसूदन यानी श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए।
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी पूरी विधि के साथ करते हुए विष्णु सहस्रनाम का जाप और उनकी कथा सुननी चाहिए।
- व्रत के एक दिन पहले यानी दशमी तिथि (6 मई) को व्रती (व्रत करने वाला) को एक बार हविष्यान्न (यज्ञ में अर्पित अन्न) का भोजन करना फलदायी होता है।
- व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी (8 मई) को ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। उसके बाद स्वयं भोजन करना चाहिए।

एकादशी व्रत का महत्व
वरुथिनी एकादशी का अपना एक विशेष महत्व होता है। इस दिन व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा आराधना करते है। पूजा संपन्न होने के बाद अपने यथाशक्ति के अनुसार व्रती दान पुण्य करते है। ऐसी मान्यता है, कि इस दिन दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्यक्ति द्वारा किए गए सभी पापों का शीघ्र ही अंत हो जाता है।

वरुथिनी एकादशी व्रत 2021 तिथि और मुहूर्त
वरुथिनी एकादशी व्रत, 7 मई 2021, शुक्रवार
एकादशी तिथि शुरू: 06 मई 2021 को दोपहर 02.20 मिनट से
एकादशी तिथि खत्म: 07 मई 2021 को शाम 03.35 मिनट पर
एकादशी व्रत पारण मुहूर्त: 08 मई को सुबह 5.35 से सुबह 08.16 तक

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