सार

भारतीय पंचांग के अनुसार, एक साल में 6 ऋतुएं होती हैं, ये हैं वर्षा, ग्रीष्म, शरद, हेमंत, शिशिर और वसंत। एक निश्चित समय अंतराल के बाद ऋतुएं बदलती रहती हैं। इनमें से वसंत ऋतु को बहुत ही खास माना गया है।

उज्जैन. वसंत ऋतु के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में स्वयं कहा है कि “ऋतुओं में मैं वसंत हूं।” इस बार वसंत ऋतु की शुरूआत 15 मार्च से हो रही है। ज्योतिष और धर्म ग्रंथों के जानकारों का कहना है कि वैदिक काल में इसी ऋतु से नए साल की शुरुआत मानी जाती थी। शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव की तपस्या भंग करने के लिए कामदेव ने ही इस ऋतु की उत्पत्ति की थी।

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कब से कब तक रहेगी ये ऋतु? ये हैं और भी खास बातें…
1.
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, ऋतुओं का खगोलीय आधार सूर्य होता है। इसके राशि परिवर्तन से ही मौसम बदलते हैं। ज्योतिष के सबसे खास ग्रंथ सूर्यसिद्धांत में बताया है कि जब सूर्य मीन और मेष राशि में हो तो वसंत होती है जो इस बार 15 मार्च से शुरू होगी और 14 मई तक रहेगी।
2. वसंत को ऋतुओं का राजा इसलिए कहा गया है क्योंकि इस ऋतु में धरती की उर्वरा शक्ति यानि उत्पादन क्षमता अन्य ऋतुओं की अपेक्षा बढ़ जाती है। 
3. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में स्वयं को ऋतुओं में वसंत कहा है। वे सारे देवताओं और परम शक्तियों में सबसे ऊपर हैं वैसे ही वसंत ऋतु भी सभी ऋतुओं में श्रेष्ठ है।
4. इस ऋतु की शुरुआत में सूर्य अपनी मित्र और उच्च राशि यानी मीन और मेष में रहता है, जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है। 
5. इस वक्त न तो ज्यादा ठंड और न ज्यादा गर्मी होने से मौसम सुहाना होता है, जिससे उत्साह और सकारात्मकता बढ़ती है। 
6. इस मौसम में नई फसल आने पर उल्लास और खुशी के साथ त्यौहार मनाए जाते हैं। इस ऋतु में ही इंसानों और जीवों में प्रजनन शक्ति बढ़ जाती है। इसलिए इसे सृजन की ऋतु भी कहते हैं। माना जाता है वैदिक काल की पहली ऋतु वसंत ही थी।
7. जब ऋतुएं बदलती हैं त्रिदोष बढ़ते हैं। इससे बचने के लिए व्रत की परंपरा बनाई गई है। इसलिए वसंत ऋतु के आरंभ में चैत्र नवरात्रि के दौरान व्रत किए जाते हैं, जिससे शरीर में हार्मोंन और अन्य चीजों का संतुलन बना रहता है। 

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