सार
हिंदू धर्म में सोने को बहुत ही शुभ धातु माना जाता है। विशेष अवसरों पर इसकी पूजा भी की जाती है। प्राचीन समय से ही सोने के आभूषण धारण करना भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। आभूषणों से स्त्रियों को हमेशा से ही लगाव रहा है।
उज्जैन. ज्यादातर सुहागन स्त्रियां सोने और चांदी के गहने पहनती हैं, लेकिन सोने से बने हुए आभूषण केवल सिर से कमर तक के भाग में ही धारण किए जाते हैं। पैरों में चांदी के बने गहने ही पहने जाते हैं। पैरों में सोने के आभूषण ही क्यों पहने जाते हैं जानिए इसके पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण…
जानिए पैरों में सोना न पहनने का धार्मिक कारण
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोना भगवान विष्णु की प्रिय धातु है। इसके साथ ही स्वर्ण को मां लक्ष्मी का स्वरूप भी माना गया है।
- यदि पैरों में पहने जाने वाले पायल, बिछिया जैसे गहनों को यदि सोने की धातु का बनवाकर पहना जाए तो देवताओं का अपमान होता है।
- सोने को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है, इसलिए इसे कमर के नीचे सोना पहनने से भगवान विष्णु, लक्ष्मी का अपमान होता है।
- मान्यता है कि पैरों में सोना पहनने से मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं जिससे आपको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।
- इसके साथ ही भगवान विष्णु भी नाराज हो जाते हैं, जिससे आपके घर की सुख-शांति नष्ट हो जाती है।
जानिए पैरों में सोना न पहनने का वैज्ञानिक कारण
- माना जाता है कि सोने के बने आभूषण शरीर में गर्मी बढ़ाते हैं जबकि चांदी के बने आभूषण शरीर को शीतलता प्रदान करते हैं।
- कमर के ऊपर स्वर्ण के आभूषण और कमर के नीचे चांदी के आभूषण पहनने से शरीर का तापमान संतुलित बना रहता है।
- शरीर में पूरी तरह से केवल स्वर्ण के बने आभूषण धारण करने से समान ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है जिससे आपके शरीर को नुकसान पहुंच सकता है।
- वहीं सोने और चांदी दोनों के बने आभूषण धारण करने से शरीर कई तरह की परेशानियों से बच सकता है।
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