
उज्जैन. आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में ऐसे गुणों के बारे में भी बताया है जो स्त्री को श्रेष्ठ बनाते हैं। आगे जानिए वो कौन-से गुण हैं जो किसी स्त्री को श्रेष्ठ बनाते हैं…
विनम्रता और दया का भाव रखने वाली
आचार्य चाणक्य के अनुसार दया और विनम्रता से युक्त स्त्री श्रेष्ठ होती है। इन गुणों को धारण करने वाली स्त्री समाज को दिशा प्रदान करती है। जिस स्त्री के पास दया और विनम्रता से पूर्ण होती है वह सदैव सम्मान प्राप्त करती है। ऐसी स्त्री क्रोध पर विजय प्राप्त करती है और सभी के प्रति करूणा का भाव बना रहता है।
धर्म का पालन करने वाली
धर्म का पालन करने वाली स्त्री यश प्राप्त करती है। ऐसी स्त्री का लोग अनुसरण करते हैं। धर्म का पालन करने वाली स्त्री सही और गलत का भेद आसानी से समझ लेती है। ऐसी स्त्रियां समाज को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं।
धन का संचय करने वाली
जो स्त्री धन का संचय करती है यानि धन की बचत करती है। वह सदैव अपने परिवार की बुरे वक्त में रक्षा करने वाली होती है। इसके विपरीत जो स्त्री आय से अधिक धन का व्यय करती है वह सदैव परेशानी उठाती है। चाणक्य के अनुसार विपत्ति के समय धन ही सच्चा मित्र होता है। इसलिए धन की बचत करनी चाहिए।
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