Chhath Puja 2021: छठ व्रत में छिपे हैं लाइफ मैनेजमेंट के कई सूत्र, ये हमें सिखाते हैं जीवन जीने की कला

बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड का मुख्य पर्व छठ व्रत (Chhath Puja 2021) लगातार 36 घंटों तक किया जाता है। इसलिए इसे बहुत ही कठिन माना जाता है। इस दौरान कुछ कठोर नियमों का पालन भी करना पड़ता है। चार दिनों का ये व्रत मागधी संस्कृति की अनूठी मिसाल है। इस व्रत मुख्य रूप से सूर्यदेव की पूजा की जाती है।
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 6, 2021 3:07 PM IST

उज्जैन. सूर्यदेव प्रत्यक्ष देवता हैं यानी जो हमें दिखाई देते हैं। सूर्य से हमें जीवन जीने की शक्ति मिलती है। सूर्य के कारण ही बारिश होती है, अनाज उपजता है जिससे हमारा जीवन चक्र सुचारू रूप से चलता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार सूर्यदेव 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर चलते हैं। सूर्यदेव के 7 रथ सात दिनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। छठ पर्व (Chhath Puja 2021) के इस मौके पर हम आपको लाइफ मैनेजमेंट के कुछ सूत्र बता रहे हैं, जो हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं। आगे जानिए लाइफ मैनेजमेंट के वो सूत्र...

1. सात्विक
कार्तिक मास शुरू होते ही खाने-पीने से लेकर पहनने और सोने तक में सात्विकता रहती है। व्रत के चार दिन पहले से इसमें खास सतर्कता बरती जाती है। इस व्रत में खाने-पीने के साथ ही जीवन शैली में सात्विकता लाने का प्रयास किया जाता है। यही सात्विकता हमें ईश्वर से जोड़ती है।

2. सहृदयता
छठ में प्रयोग होने वाली किसी चीज के लिए किसी में नकार भाव बिल्कुल ही नहीं है। दूध, नारियल, सूप, गन्ना, लकड़ी आदि लोग खुले हाथ बांटते हैं। सहृदयता का अर्थ है खुले दिल से उन लोगों की मदद करना जो किसी न किसी रूप से असक्षम हैं। ये पर्व हमें दूसरों की खुशियां देना सिखाता है

3. संयम
छठ व्रत में संयम का बड़ा महत्व है। इंद्रियों को संयमित करने की प्रक्रिया तो व्रती पहले से शुरू कर देते हैं। व्रत के चार दिन तो संयमित जीवन का ही संदेश है। ये व्रत बिना संयम के संभव ही नहीं है। जो व्यक्ति अपनी इंद्रियों को संयम कर सकता है वही अपने जीवन में आगे बढ़ सकता है।

4. स्वच्छता
छठ में स्वच्छता का महत्व आस्था जितना ही है। घर-बाहर ही नहीं, साफ-सफाई और व्रत का माहौल भी हमारे जीवन को एक नया आयाम देता है। इस मौके पर हमें अपने अंदर की बुराइयों को भी नष्ट करने की कोशिश करनी चाहिए। यही स्वच्छ इस त्योहार का मूल अर्थ है।

5. समर्पण
बिना संपूर्ण समर्पण के लक्ष्य हासिल करने में मुश्किलें आती है। छठ व्रत सूर्य के प्रति आस्था, सृष्टि और स्रष्टा के समक्ष कर्ता का समर्पण ही है। जब हम किसी शक्ति के प्रति समर्पित हो जाते हैं और सीधे ईश्वर से जुड़ जाते हैं और वहीं शक्ति जीवन में हमारा कल्याण भी करती है।

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