सार
हिंदू धर्म में सूर्य पूजा से संबंधित अनेक पर्व मनाए जाते हैं। छठ पूजा (Chhath Puja 2021) भी इन्हीं में से एक है। ये पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। इसमें भगवान सूर्यदेव की पूजा होती है। इस बार ये पर्व 8 से 10 नवंबर तक मनाया जाएगा। छठ के महाव्रत को करना अत्यंत पुण्यदायक है।
उज्जैन. सूर्योपासना का महापर्व छठ (Chhath Puja 2021) चार दिनों तक मनाया जाता है। छठ पर्व के लिए कई कथाएं प्रचलित हैं, किन्तु पौराणिक शास्त्रों में इसे देवी द्रौपदी से जौड़कर देखा जाता है। मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हार गए, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा था। द्रौपदी के व्रत के फल से पांडवों को अपना राजपाट वापस मिल गया था। इसी तरह छठ का व्रत करने से लोगों के घरों में समृद्धि और सुख आता है। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश में इसकी मान्यता अधिक है।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा या सूर्य षष्ठी या छठ व्रत में सूर्य भगवान की पूजा होती है और धरती पर लोगों के सुखी जीवन के लिए सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। सूर्य देव को ऊर्जा और जीवन शक्ति का देवता माना जाता है। इसलिए छठ पर्व पर समृद्धि के लिए पूजा की जाती है। सूर्य की पूजा से विभिन्न बीमारियों का इलाज संभव है। सूर्य पूजा के साथ स्नान किया जाता है। इससे कुष्ठ रोग जैसी गंभीर रोग भी दूर हो जाते हैं। छठ पर्व परिवार के सदस्यों और मित्रों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए भी मनाया जाता है। छठ देवी भगवान सूर्यदेव की बहन हैं। जिनकी पूजा के लिए छठ मनाया जाता है। छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है। छठी मैया का ध्यान करते हुए लोग मां गंगा-यमुना या किसी नदी के किनारे इस पूजा को मनाते हैं। इसमें सूर्य की पूजा अनिवार्य है साथ ही किसी नदी में स्नान करना भी।
छठ व्रत पूजा विधि
- इस पर्व में पहले दिन घर की साफ सफाई की जाती है। छठ पर्व पर गांवों में अधिक सफाई देखने को मिलती है। छठ के चार दिनों तक शुद्ध शाकाहारी भोजन किया जाता है, दूसरे दिन खरना का कार्यक्रम होता है, तीसरे दिन भगवान सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन भक्त उदियमान सूर्य को उषा अर्घ्य देते हैं।
- छठ के दिन अगर कोई व्यक्ति व्रत को करता है वह अत्यंत शुभ और मंगलकारी होता है। पूरे भक्तिभाव और विधि विधान से छठ व्रत करने वाला व्यक्ति सुखी और साधनसंपन्न होता है। साथ ही निःसंतानों को संतान प्राप्ति होती है।
छठ अनुष्ठान विधि
- छठ के दिन सूर्योदय में उठना चाहिए। व्यक्ति को अपने घर के पास एक झील, तालाब या नदी में स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद नदी के किनारे खड़े होकर सूर्योदय के समय सूर्य देवता को नमन करें और विधिवत पूजा करें।
- शुद्ध घी का दीपक जलाएं और सूर्य को धूप और फूल अर्पण करें। छठ पूजा में सात प्रकार के फूल, चावल, चंदन, तिल आदि से युक्त जल को सूर्य को अर्पण करें। सर झुका कर प्रार्थना करते हुए ॐ घृणिं सूर्याय नमः, ॐ घृणिं सूर्य: आदित्य:, ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा या फिर ॐ सूर्याय नमः 108 बार बोलें।
- अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं। गरीब लोगों को कपड़े, भोजन, अनाज आदि का दान करना चाहिए। इस प्रकार सूर्यदेव और छठ देवी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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